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“ट्रंप ने मोदी को बताया ‘मुझसे ज्यादा सख्त वार्ताकार’, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर हुई चर्चा”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने मुकाबले “कहीं अधिक सख्त और बेहतर वार्ताकार” बताया है। यह टिप्पणी दोनों नेताओं के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद आई है, जिसमें टैरिफ और व्यापार समझौतों पर चर्चा हुई। ट्रंप ने मुस्कुराते हुए कहा, “मोदी जी मुझसे कहीं ज्यादा कठोर हैं… इसमें कोई प्रतिस्पर्धा ही नहीं है।”
क्या हुआ बैठक में?
- टैरिफ डील पर जोर: ट्रंप ने स्वीकार किया कि मोदी ने अमेरिकी तेल, गैस और लड़ाकू विमानों की खरीद बढ़ाने का प्रस्ताव रखा, जिससे व्यापार तनाव कम हो सकता है।
- पारस्परिक शुल्क की रणनीति: ट्रंप ने दोहराया कि अमेरिका अब हर देश पर उसके बराबर टैरिफ लगाएगा। उन्होंने भारत के “उच्च टैरिफ” पर भी नाराजगी जताई।
- मोदी का जवाब: प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप की “राष्ट्र प्रथम” नीति की सराहना करते हुए कहा, “मैं भी भारत के हितों को सर्वोच्च मानता हूँ।”
क्यों अहम है यह बैठक?
- स्टील-एल्युमिनियम पर टैरिफ: पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका के इन शुल्कों ने भारत को प्रभावित किया था। नए समझौते इस तनाव को कम कर सकते हैं।
- व्यापार युद्ध का खतरा: ट्रंप की “पारस्परिक टैरिफ” योजना से अन्य देशों की प्रतिक्रिया चिंता का विषय है, लेकिन मोदी के प्रस्तावों से राहत मिल सकती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों की खरीद बढ़ाने से द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे। हालाँकि, टैरिफ समस्या का स्थायी समाधान अभी भी चुनौती बनी हुई है।
आगे की राह
अमेरिका और भारत के बीच व्यापार घाटा एक बड़ा मुद्दा रहा है। मोदी की इस यात्रा में तेल-गैस और रक्षा समझौतों पर हुई प्रगति से नए दरवाजे खुल सकते हैं। ट्रंप ने भारत को “स्ट्रैटेजिक पार्टनर” बताते हुए आशावाद जताया, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी: “हम पारस्परिकता चाहते हैं।”
निष्कर्ष:
यह बैठक दोनों देशों के बीच व्यापारिक तालमेल बढ़ाने की दिशा में एक कदम है। मोदी की वार्ताकार क्षमता और ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के बीच संतुलन बनाना अगली चुनौती होगी।