Sachin Tendulkar का बचपन के दोस्त Binod Kambli की आज हुई ये हालत ! एक चमकते सितारे के गुमनामी की कहानी !

Sachin Tendulkar, Binod Kambli friendship

पिछले कुछ दिनों से सचिन तेंदुलकर और विरोध विनोद कांबली के मिलने की खबर सुर्खियों में है। जहां दोनों दोस्त अपने कुछ रमाकांत आचरेकर के श्रद्धांजलि समारोह में पहुंचे थे l इस विडियो में सचिन तेंदुलकर अपने बचपन के दोस्त विनोद कांबली से मिलते हुए नजर आ रहे हैं। विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर लगभग एक ही उम्र के है परंतु वीडियो में विनोद कांबली बहुत बुढे, कमजोर और बीमार लग रहे हैं । जबकि सचिन तेंदुलकर एकदम फिट और स्वस्थ दिख रहे हैं। मंच पर जहां सचिन तेंदुलकर की एंट्री एक सुपरस्टार की तरह हुई, वही विनोद कांबली बहुत हीं कमजोर बेबस और लाचार नजर आए।


दोनो में क्या क्या रही समानता –


सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली की शुरुआत एक ही स्कूल से हुई थी। वे दोनों साथ-साथ बड़े हुए, एक साथ क्रिकेट खेले और एक ही कोच से क्रिकेट की बारीकियां को सीखा । दोनों महान खिलाड़ियों ने जब 1988 में सेंट जेवियर स्कूल के खिलाफ 664 रनों की नाबाद साझेदारी की थी। यह उस समय तक की सबसे बड़ी साझेदारी थी। इस मैच में दोनों खिलाड़ियों ने अपने-अपने तीहरे शतक बनाए थे।


दोनो खिलाड़ियों भारतीय टीम में डेव्यु


जहां सचिन तेंदुलकर कि भारतीय टीम में 1989 में डेब्यू करने का मौका मिला । वही विनोद कांबली ठीक इसके दो साल बाद 1991 में विल्स शारजाह ट्रॉफी में भारतीय क्रिकेट टीम से पहली बार खेले और 2000 में उन्होने अपना अंतिम वंडे मैच खेला। सचिन तेंदुलकर ने लगभग 18 सालों तक क्रिकेट खेला वही विनोद कांबली का करियर सचिन तेंदुलकर के मुकाबले में बहुत ही छोटा रहा।


विनोद कांबली का हीरो से जीरो तक का सफर-


कहा जाता है कि बुलंदियों के शिखर पर पहुंचने के बाद अपनी कामयाबी को संभाल पाना सबके बस की बात नहीं होती । बस यही कारण था कि विनोद कांबली अपने स्टारडम को भुना नहीं पाए। एक समय में जिस व्यक्ति को सचिन तेंदुलकर से भी ज्यादा प्रतिभाशाली माना जाता था उसके अनुशासन हीनता ने क्रिकेट के करियर को बर्बाद कर दिया। विनोद कांबली की चर्चा अक्सर क्रिकेट से ज्यादा दूसरे विवादों में होती थी। क्लब जाना, पार्टियों में शामिल होना, शराब की लत की वजह से कई बार विवादों से घिरे रहे। इस तरह भारतीय टीम में चमकने वाला सितारा अपनी चमक खोता रहा और धीरे-धीरे क्रिकेट से दूर होता चला गया।


विनोद कांबली की वर्तमान आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं हैं । बीमारी की वजह से अपनी मूल आयु से वह कहीं ज्यादा बूढ़े नजर आ रहे हैं उन्हें कई तरह की गंभीर बीमारियों ने जकड़ लिया है । उनका मानसिक संतुलन भी ठीक नहीं है। 52 वर्ष की उम्र में न तो शरीर ठीक से काम कर पा रहा है न हीं दिमाग | उनकी स्थिति को देखते हुए 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम ने उनके इलाज का खर्चा उठाने के लिए मदद की पेशकश की है परंतु उन्होंने यह भी कहा की शराब की लत छोड़ने के लिए पहला उन्हें ही उठाने की आवश्यकता है उन्हें खुद ही रिहैबिलिटेशन सेंटर में जाना होगा।

युवाओं के लिए सिख


विनोद कांबली की यह दुर्दशा युवाओं के लिए बड़ी सीख है की जबरदस्त प्रतिभा और किस्मत होने के बावजूद भी अनुशासनहीनता और लापरवाही की वजह से बुलंदियों से गर्त में भी गिर सकते हैं।

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