Atul Subhash Case : दहेज़ उत्पीड़न कानून का इस्तेमाल कितना सही कितना गलत ? अतुल के आत्महत्या से छिड़ी बहस !

पिछले दो दिनों से बेंगलुरु AI इंजीनियर ने आत्महत्या चर्चा का विषय बनी हुई है। बिहार के समस्तीपुर के अतुल सुभाष बैंगलोर में इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। एक अच्छा जॉब होने के बावजूद, पारिवारिक कलह और कानून व्यवस्था से तंग आकर मौत को गले लगा लिया। आत्महत्या करने से पहले अतुल ने लगभग एक घंटे 40 मिनट लंबा अपना वीडियो भी पोस्ट किया, जिसमें अपनी पत्नी पर कई गंभीर आरोप लगाए, साथ ही साथ उन्होंने न्यायिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने 24 पेज का एक लंबा सुसाइड नोट भी लिखा। उसमें भी अपनी पत्नी और उनके परिवार जनों पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए नजर आ रहे हैं। अतुल सुभाष के 24 पन्ने के सुसाइड नोट और लगभग डेढ़ घंटे का वीडियो यह बतलाने के लिए काफी है कि वह अपने पारिवारिक कलह और कानून व्यवस्था से कितने प्रताड़ित हो चुके हैं। वह किन गंभीर मानसिक दबाव में जीने को मजबूर थे।


अतुल के आरोप
अतुल सुभाष ने पत्नी निकिता सिंघानिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह उन्हें अपने 4 साल के बच्चे से मिलने नहीं देती। उन्हें अपने बच्चों का चेहरा तक याद नहीं, जब तक कि वह उसका फोटो नहीं देख लेते। फोटो में बेटे की उम्र सिर्फ एक साल है। बच्चे का इस्तेमाल मुझसे पैसे लूटने के लिए किया जा रहा है। पत्नी का परिवार हमेशा उनसे पैसों की डिमांड करता रहता है।
बेटे के खर्च के लिए अतुल हर महीने ₹40 हजार रुपए पत्नी को देते थे। उनकी पत्नी मिलने वाली रकम पर भी खुश नहीं थी। वह खर्च के तौर पर 2 लाख रूपए प्रति माह की डिमांड कर रही थी।


केस को सेटल करने के लिए एक करोड़ देने का दबाव
अतुल के अनुसार उसकी पत्नी ने जौनपुर कोर्ट में केस फाइल किया था। जब-जब केस की तारीख आती थी तो अतुल को बेंगलुरु से जौनपुर आना पड़ता था। उसका हर बार बेंगलुरु से जौनपुर आना संभव नहीं था, इस बात से भी वह काफी परेशान हो चुका था। सुभाष की पत्नी केस को पूरी तरह से सेटल करने के लिए पहले एक करोड रुपए मांगे जो बाद में बढाकर 3 करोड रुपए कर दिया गया। अतुल ने महिला जज पर भी केस सेटल के नाम पर 5 लाख रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है।


पत्नी के मानसिक उत्पीड़न और न्यायिक व्यवस्था से परेशान होकर अतुल ने कहा कि अगर मुझे इंसाफ मिले तो ही मेरी अस्थियो को गंगा में प्रवाहित किया जाए, नहीं तो मेरी अस्थियो को नाली की गटर में बहा दिया जाए।


क्या कहते हैं न्यायिक व्यवस्था के जानकार
कानून की जानकारी रखने वाले यह मानते हैं कि कुछ महिलाओं द्वारा दहेज उत्पीड़न कानून का गलत इस्तेमाल कर पुरुषों को गलत तरीके से फसाया जाता है जो की बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। अब समय आ गया है की कानून में संशोधन किया जाए जिससे इस प्रकार की घटनाओं का पुनरावृत्ति ना हो पाए। साथ ही लिंग तटस्थ कानून होना चाहिए।यह पूर्व सुनिश्चित कर लेना की सिर्फ महिलाएं ही उत्पीड़न का शिकार होती हैं ऐसा नही है उत्पीड़न पुरुषों के साथ भी हो सकता है।

बहरहाल अतुल के वीडियो और छोड़े गए सुसाइड नोट के आधार पर बेंगलुरु पुलिस ने उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार पर केस दर्ज कर लिया है । बेंगलुरु पुलिस की टीम ने केस कि पड़ताल के लिए जांच टीम को जौनपुर के लिए रवाना कर दिया गया है। गौरतलब हो कि इस केस में अभी तक सिर्फ अतुल सुभाष का पक्ष ही सामने आ पाया है अभी अतुल की पत्नी निकिता का पक्ष भी सुना जाना बाकी है। जब तक दोनों पक्षों को सुन लिया ना जाए तब तक कोई भी कयास लगाना जल्दीबाजी होगा।

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