यमन में भारत से गई एक नर्स निमिषा प्रिया को स्थानीय कारोबारी तलाल अब्दो महदी के हत्या के आरोप में मौत की सजा मिली है। यहां तक की यमन की राष्ट्रपति रशीद मोहम्मद अल अलीमी ने भी भारतीय नर्स की सजा को मंजूरी दे दी है। आखिर क्या कहता है यमन का कानून यमन का कानून क्या कहता है? क्य अभी बच पाएगी नर्स की जान ? आईए जानते हैं पूरे मामले को..
जानें क्या है पूरा मामला । Nimisha Priya Case.
दरअसल केरल में रहने वाली निमिषा प्रिया ने साल 2008 में अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए यमन चली गई। जहां पर उन्होंने नर्स के रूप में काम करना शुरू कर दिया। साल 2012 में निमिषा फिर से भारत आयी और उन्होंने यहां पर टॉम थॉमस नाम के एक शख्स से शादी भी कर लिया। इसके बाद साल 2012 में फिर से यह परिवार यमन चला गया। इस दौरान निमिषा ने एक बेटी को जन्म दिया। बेटी के जन्म के बाद जब खर्चा चलाना मुश्किल हुआ तो उसका पति टॉम थॉमस अपनी बेटी के साथ वापस यमन से केरल आ गया।
क्लीनिक खोलने का फैसला । Nimisha Priya Case.
इसके बाद 2014 में निमिषा ने यमन में निजी क्लीनिक खोलने का फैसला किया। परंतु यमन के कानून के तहत क्लीनिक खोलने के लिए किसी स्थानीय पार्टनर का होना जरूरी है। निमिषा ने वहां के स्थानीय कारोबारी तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर क्लीनिक खोल लिया। क्लीनिक खोलने के लिए निमिषा और उसके पति ने लगभग 50 लख रुपए जुटे थे। परंतु निमिषा की बदनसीबी की दास्तान तब शुरू होती है जब यमन गृह युद्ध की चपेट में आ गया। भारत सरकार ने वहां से कई नागरिकों को बाहर निकाला लेकिन निमिषा में वापस नहीं लौटने का निर्णय लिया। दरअसल निमिषा ने यमन में बहुत भारी निवेश किया था इसलिए उन्होंने भारत नहीं आने का फैसला किया। इसके बाद निमिषा का क्लीनिक भी अच्छा चलने लगा और उसकी कमाई भी अच्छी होने लगी।
निमिषा के पार्टनर तलाल अब्दो महदी से विवाद । Nimisha Priya Case
निमिषा के पार्टनर तलाल अब्दो महदी से शुरू हुए विवाद के बाद निमिषा का पासपोर्ट अपने पास रख लिया था। रिपोर्ट यह भी कहते हैं कि वह बार-बार निमिषा पर पैसे देने का दबाव भी बनाने लगा। बुरी तरह से फंस चुकी निमिषा अब वहां से निकलना चाहती थी। लेकिन ऐसा होता मुमकिन नहीं दिख रहा था। क्योंकि उसका पासपोर्ट मेहंदी के कब्जे में था। बताया जाता है की निमिषा प्रिया ने पासपोर्ट वापस लेने की मकसद से तलाल अब्दो महदी को बेहोश करने की दवा दी थी । परंतु दवा की ओवरडोज होने के कारण मेहंदी दलाल की मौत हो गई।
इसके बाद निमिषा गिरफ्तार हुई। यमन की निचली अदालत ने सजा मौत का फैसला सुनाया और इसके बाद उच्च न्यायालय ने भी इस फैसले को बरकरार रखा। इधर कोच्चि में रह रही निमिषा की मां अपनी बेटी की जान बचाने के लिए अपनी सारी संपत्ति बेच दी। यहां तक की निमिषा की जान बचाने के लिए एक फंड के तहत भी पैसे इकट्ठा किए गए। दरअसल निमिषा का परिवार , इन पैसों को ब्लड मनी के तौर पर दलाल के परिवार को देना चाहता है जिससे कि निमिषा की जान बच सके।
क्या है ब्लड मनी। Nimisha Priya Case
दरअसल ब्लड मनी वह रकम है जिसको पीड़ित के परिवार को मुआवजे के रूप में दिया जाता है। इसके बदले पीड़ित परिवार दोषी को माफ कर सकता है। इसके लिए यमन में मौजूद भारतीय दूतावास ने एक वकील का प्रबंध भी किया है। यमन में सरकारी वकील ने लगभग 34 लख रुपए की मांग की है। परिवार की तरफ से पैसों की व्यवस्था करने की बावजूद अभी तक यह राशि पूरी नहीं हो पाई है।
महीने के भीतर दी जायेगी सजा। Nimisha Priya Case
इसी बीच निमिषा प्रिया को मिली मौत की सजा के कागज राष्ट्रपति रशीद मोहम्मद अल अलीमी के पास पहुंच जाता है। उन्होंने निमिषा की सजा पर अपनी सहमति दे दी। यमन के नियमों के मुताबिक अगले एक महीने के भीतर निमिषा को मौत की सजा दी जायेगी । यमन में सजा ए मौत पाए व्यक्ति को पीठ या सर पर गोली मारकर मौत की सजा दी जाती है। ऐसे में निमिषा का परिवार भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है।
भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया।
मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया भी आई है इसके मुताबिक कहा गया है कि “हम निमिषा प्रिया की मिली सजा से वाकिफ है। हमें यह भी मालूम है कि उनके परिवार सारे विकल्प तलाश रहा है सरकार इस मामले पर हर संभव मदद करने के लिए राजी है।”
विदेश मामले की जानकारी के मुताबिक निमिषा प्रिया को तभी बचाया जा सकता है जब पीड़ित परिवार ब्लड मनी लेकर दोषी निमिषा प्रिया को माफ कर दे। पीड़ित तलाल अब्दो महदी का परिवार कितनी ब्लड मनी की मांग करता है, यह भी एक गंभीर विषय है। आगे इस मामले में क्या होता है, क्या निमिषा बच पाएगी, यह तो आने वाला वक्त ही बतलाएगा।