कौन है ELON MUSK का बाहुबली रॉकेट FALCON 9 जिसने किया भारतीय सेटेलाइट लॉन्च !

भारत की स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने अपना एक प्रमुख सैटेलाइट GSET-N2 जिसे एक अन्य नाम GSET-20 के नाम से भी जाना जाता है, उसे पहली बार किसी प्राइवेट अमेरिकी कंपनी Space X के द्वारा लांच किया गया | यह एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है जिसे स्पेस एक्स के एक पावरफुल रॉकेट फॉल्कन 9 के जरिये प्रक्षेपित किया गया | यह सैटेलाइट 4700 किलो वजनी है | जिसे 14 साल तक के मिशन के लिए बनाया गया है | इस सैटेलाइट का प्रमुख काम दूर दराज़ के गांव तक ब्रॉडबैंड इंटरनेट की उपलब्धता पहुंचाने की है, साथ ही साथ फ्लाइट के अंदर WIFI की कनेक्टिविटी जिसका अर्थ है उड़ान के समय पायलट और यात्रियों को ज्यादा बेहतर और मजबूत संचार स्थापित किया जा सके |

क्या है बाहुबली रॉकेट फाल्कन – 9
FALCON – 9 , Space X कंपनी का एक शक्तिशाली और रियूजेबल रॉकेट है, जहाँ इसरो के रॉकेट प्रक्षेपित होने के बाद कचरा बन जाते हैं, वहीं यह रॉकेट दुबारा उपयोग में लाया जा सकता है | हल में हीं यह रॉकेट दुनियाभर की मिडिया में सुर्खियां बटोर रहा था, जब सुपर हैवी बूस्टर को लांच करने के बाद उसे पुनः कैच किया था | इस रॉकेट का खुद का वजन लगभग 54000 हज़ार KG से ऊपर है जो अपने साथ 8300 KG वजन का सैटेलाइट ले जाने में सक्षम है और इसकी लम्बाई 70 मीटर है|

ISRO ने अपने सैटेलाइट के लिए SPACE X ही क्यों चुना ?
ISRO ने 2024 की शुरुआत में ही एलन मस्क की कंपनी के साथ सहयोग का ऐलान कर लिया था | ISRO ने अब तक 430 से ज्यादा देशी अथवा विदेशी उपग्रहों को लांच किया था, परन्तु भारत का अत्याधुनिक प्रक्षेपण विहिकल जिसका नाम LVM 3 (LAUNCH VIHICLE MARK 3) है, वह अधिकतम 4000 KG के उपग्रह हीं ले जाने में सक्षम है | यही वजह था की ISRO ने GSET-N2 के लिए SPACE X को हीं चुना |

सैटेलाइट भेजने में कितना लगा खर्च-
भारत अपने सैटेलाईट को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए अन्य देशो की तुलना में बहुत कम खर्च करता है , परन्तु ज्यादा वजन की इस सैटेलाईट को भेजने के लिए ISRO ने SPACE X को 60 से 70 मिलियन डॉलर देना पड़ा | साथ ही बताते चले की इसरो अपने हेवी सैटेलाईट लॉन्च करने के लिए बहुत ही एडवांस विहिकल जिसका नाम NEXT GENERATION LAUNCH VEHICLE (NGLV ) तैयार कर रहा है, जिससे भारत को यह फायदा होगा की जो ISRO सिर्फ 4000 KG भारी सैटेलाइट भेज पाता था उसकी क्षमता बढ़कर 10,000 KG हो जाएगी |

लेखक – पवन मिश्रा

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