H-1B Visa America : अमेरिकी लोगों का जॉब खाते भारतीय। क्या इतना सरल है, भारतीयों को नजरंदाज करना !


H-1B Visa को लेकर, इन दिनों अमेरिका में एक नई बहस छिड़ी है। आम लोगों से लेकर खास लोग तक इसके ऊपर बातें कर रहे हैं। भारी विरोध के बीच अमीरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दिया हुआ बयान अमेरिका में काम करने वाले अप्रवासियों के समर्थन में हैं। H-1B visa पर अमेरिकी मीडिया ने जब राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया चाहि तो राष्ट्रपति ट्रंप ने साफ-साफ कहा की वे इस मुद्दे पर अपनी राय नहीं बदलने जा रहे हैं। अमेरिका में काम करने वाले स्मार्ट लोगों की अब भी आवश्यकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान से साफ जाहिर होता है कि, अमेरिका में प्रतिभाशाली लोगों के लिए दरवाजे अब भी खुले हैं। वहीं इस मुद्दे पर मशहूर उद्योगपति एलन मस्क का भी समर्थन आ चुका है। लेकिन सवाल यह है की अमेरिका के H-1B Visa कि नीति पर आखिर आपत्ति किसको है? आखिर कौन दूसरे देशों से आने वाले अप्रवासियों को खतरा मानता है। आखिर अमेरिका में क्यों भारतीय लोगों को निशाना बनाया जा रहा है? आईए विस्तार से जानते हैं इस बारे में …


क्या है H-1B Visa?
दरअसल इस नियम के तहत अमेरिका की कंपनियों को यह अधिकार दिया जाता है की बाहर के देशों से प्रतिभाशाली लोगों को अमेरिका में जॉब दिया जा सके। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, अमेरिका में उपलब्ध नौकरियों पर किसी दूसरे देश के व्यक्ति को प्रतिभा की पैमाने पर चुना जा सकता है।

72% भारतीय को मिलता है लाभ
दरअसल अमेरिका में रहने वाले लोगों में से एक बड़ा हिस्सा यह मानता है की दूसरे देश से आने वाले लोग, वहां के अमेरिकन के लिए खतरा है। क्योंकि आने वाले लोग अमेरिका के लोगों की जॉब खा रहे हैं। यह बात सच है कि H-1B Visa का सबसे ज्यादा फायदा भारतीय लोगों को मिलता है। H-1B Visa का लाभ उठाने वाले में 72% संख्या भारतीय लोगों की है, जो h1b वीजा की वजह से अमेरिका पहुंचते हैं। यह वे लोग होते हैं जो दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली लोग माने जाते हैं। इसके बाद चीनी लोग की संख्या आती है जो लगभग 17% के आसपास है।

भारतीयों पर निशाना
बीते कुछ दिनों से यह मुद्दा इतना ज्यादा गंभीर हो गया है, कि आए दिन सोशल मीडिया पर भारतीयों के लिए नफरत फैलाने वाली बातें लिखी जा रही है। वर्तमान समय में भारतीयों की बड़ी आबादी कट्टर अमेरिकी भावना से प्रभावित हो रही है। खैर यह मुद्दा तो पहले से ही गर्म था। लेकिन यह मुद्दा तब ज्यादा बड़ा रूप ले लिया जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने श्री रामकृष्णन को अपना AI Advisor के रूप में एपॉइंट किया। इसके बाद तो H-1B Visa पर ट्रंप समर्थकों का खेमा भी काफी नाराज दिखा। इस मुद्दे पर अमेरिका दो खेमों में बटा हुआ नजर आया, पहले खेमा जो इसके समर्थन में है, वहीं दूसरा खेमा इसके विरोध में खड़ा है। विरोध करने वाले लोगों ने सोशल मीडिया पर हिंदू धर्म के देवी देवताओं की फोटो पर भी आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे हैं। दरअसल उनका मानना है कि भगवान को पूजने वाले लोग अमेरिका की तरक्की में कैसे सहभागी हो सकते हैं। इसी तरह भारतीय खानों का और भारतीय परिधानों का भी मजाक बनाया जा रहा है। भारतीयों के लिए नस्लभेदी टिप्पणी सहित “डर्टी इंडियन” जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से हो रहा है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सहयोगी है भारतीय।
कुछ अमेरिका का ऐसा मानना है कि भारतीय अमेरिकी लोगों का हक छीन रहे हैं, जबकि यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है। भारतीय अमेरिकी वहां कि कुल आबादी का सिर्फ दो प्रतिशत आबादी हैं। अमेरिका में लगभग 50 लाख अमेरिकी भारतीय रहते हैं। इसके बावजूद भी H-1B वीजा का लाभ लेने वालों में से सबसे ज्यादा भारतीय हैं। लाभ उन भारतीयों को मिल रहा है जो ना तो रंग से गोरे हैं , न हीं अंग्रेजी बोलने वाले वंश परंपरा से हैं, और ना ही ईसाई हैं। शायद वहां कुछ लोगों के लिए दिक्कत की वजह यही है। जाहिर सी बात है, अमेरिकी लोगों की यह धारणा किसी भी तरह से तर्कशील नहीं हो सकती।

अमेरिकी जनसंख्या का सिर्फ दो प्रतिशत भारतीय।
समझने वाली बात यह है की अमेरिका में बसने वाले भारतीय ना तो किसी का हक मार रहे हैं, और ना ही किसी का संसाधन लूट रहें हैं। बल्कि वहां बसे हुए हिंदू समुदाय सिर्फ 2% होने के बावजूद भी अमेरिका की तरक्की में जो योगदान देते हैं, वह सराहनीय है। उन कुछ अमेरिकी लोगों को यह भली भांति ज्ञात होना चाहिए कि, भारतवंशियों के लिए जॉब उपलब्ध होना कोई अहसान नहीं है, बल्कि यह अमेरिका के भविष्य की जरूरत भी है। H-1B Visa लेकर गए भारतवंशी अपने मेहनत की बदौलत इस मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां से अमरीकी लोगों को भारतीयों से असुरक्षा की भावना उत्पन्न होने लगी है।

STEM में फिसड्डी अमेरिकी युवा।

दरअसल अमेरिका में एक प्रचलित एक शब्द है STEM जिसका अर्थ है साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स। इन सभी विषयों में अमेरिकी युवा बुरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। इन सभी विषयों में अमेरिकी युवा दिलचस्पी नहीं दिख रहे हैं। USA के अधिकतर युवाओं को साधारण गणित भी समझ नहीं आता। वहां की अधिकतर मां-बाप अपने बच्चों को बेसिक मैथ की जानकारी भी नहीं दे पाते। अमेरिका में यह एक बहुत सीरियस प्रॉब्लम है। इस हालत को सुधारने के लिए अमेरिकी शिक्षा में कई सारे सुधार किया जा रहे है, जिससे इन क्षेत्रों में अमेरिकी प्रतिभा का सृजन हो सके। नतीजतन उन्नत विनिर्माण उद्योगों में STEM प्रतिभा की कमी को भारतीय युवा पूरा कर देते हैं।

अहसान नहीं विवशता !
एक आंकड़ों के अनुसार अमेरिका को हर वर्ष लगभग 4 लाख इंजीनियर की आवश्यकता होती है। परंतु हर वर्ष सिर्फ 70 हजार इंजीनियर हीं अमेरिका तैयार कर पा रहा है। अर्थात अपनी जरूरत का सिर्फ 17.5%, बाकी के 3 लाख 30 हजार युवा कहां से आ रहे हैं? इसी कमी को भारत और चीन पूरी कर पा रहे हैं। यह अमेरिका की विवशता है कि, वह चीन और भारत से लोगों को बुलाकर टेक्निकल फ़ील्ड में काम करवा पा रहे हैं। कुछ रिपोर्टर्स के अनुसार 2030 तक अमेरिका में प्रतिभाशाली युवाओं की संख्या 14% तक हीं रह जायेगी। तो सोंचने वाली बात यह है की 86% वर्क फोर्स की कमी को अमेरिकी कंपनियां कहां से पूरी कर पाएंगी? इसी सवाल का जवाब है भारतीय।

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