कलश जनजाति पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर स्थित हिंदू कुश की पहाड़ियों और इसी के घाटी में रहते हैं।कलश जनजाति की महिलाएं दुनिया भर में सबसे खूबसूरत महिलाएं मानी जाती हैं। उनकी संस्कृति और परंपराओं में आज भी हिंदू धर्म से गहरा लगाव देखने को मिलता है। यह दुनिया के सबसे रहस्यमय और खूबसूरत लोग माने जाते हैं। कलश जनजाति लोग मुसलमानों से घिरे होने के बावजूद भी आज भी प्राचीन वैदिक धर्म को मानते हैं। आसपास सिर्फ मुस्लिम आबादी होने के कारण पाकिस्तान के मुसलमान इन कलश लोगों को ऋग्वैदिक काफिर कहते हैं। 100 साल पहले उनकी जनसंख्या एक लाख से भी ऊपर थी। आखिर क्या कारण है कि इनकी आबादी लगातार घटते ही जा रही है? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वर्तमान में इनकी आबादी सिर्फ 4,000 के आसपास ही रह गई है। कलश जनजाति का मानना है कि अपने क्षेत्र में बहुत पहले इनका अपना शासन और प्रशासनिक नियंत्रण हुआ करता था, परंतु जब से उसे क्षेत्र में मुसलमान की आबादी बढ़ी, इसके बाद इनकी तादाद बहुत कम हो चुकी है।
आज इस लेख में यह जानेंगे कि कलश जनजाति किसकी पूजा करते हैं और किस धर्म को मानते हैं?
कलश जनजाति पाकिस्तान के चित्राल जिले में रहते हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर के नजदीक रहने के बावजूद कलश जनजाति की संस्कृति उनके आसपास रहने वालों से बहुत अलग है।इनकी संस्कृति बहुत पुरानी मानी जाती है। असल में कलश लोगों सनातन धर्म की तरह ही वैदिक धर्म को मानते हैं। पूर्वी अफगानिस्तान से लेकर कश्मीर तक पहले इस वैदिक संस्कृति का आज इन इलाकों में नामोनिशान भी नहीं है। इतना कुछ होने के बावजूद भी हिंदू कुश पहाड़ियों में रहने वाले यह कलश लोग आज भी अपने जड़ों से जुड़े हुए हैं। यह आज भी अपनी वैदिक परंपरा और संस्कृति को मानते हैं। शायद इसलिए कि हिंदू कुश की घाटियों तक बाहरी आक्रांताओं का पहुंचना बहुत कठिन था। यही कारण है कि हाल में भी यहां वैदिक धर्म बचा रह गया।
यूनेस्को ने 2018 में कलश जनजाति को सांस्कृतिक विरासत के रूप में शामिल किया है। भारी मुस्लिम पड़ोसियों से घिरे क्षेत्र में वह आज भी एकमात्र अल्प आबादी वाले जनजाति हैं। इसीलिए वह अपने सुरक्षा के लिए पारंपरिक हथियार के साथ-साथ आधुनिक हथियारों का भी रखते हैं। कलश घाटी हिंदू कुश के विशाल पहाड़ों द्वारा संरक्षित घाटी है। इसलिए वे इतने लंबे समय से बाहरी दुनिया से कटे हुए थे।
कलश जनजाति की महिलाएं अपनी पसंद के लड़के से कर सकती है विवाह।
ऐतिहासिक रूप से कलश लोग 24000 वर्षों से अधिक समय तक इन घाटियों में रहती हुई आ रहे हैं। विषम परिस्थिति और उत्पीड़न के बावजूद अबतक अपने वजूद को बचाए रखने में कामयाब हो गए हैं। त्योहारों के दौरान कलश महिलाएं और पुरुष एक साथ नृत्य करते हैं। उनके त्योहारों के समय कोई भी लड़की किसी भी लड़की से अपने प्यार का इजहार कर सकती है। इन जनजातियों में विवाह को लेकर खुलापन नजर आता है। इस समुदाय में एक खास त्यौहार के दौरान लड़की अपने पसंद के लड़के के साथ चली जाती है। लड़के के घर जितने दिन चाहे रह सकती है। उसके बाद अपने घर लौटी है। इसके बाद मान लिया जाता है की, लड़की उस लड़के के साथ शादी करना चाहती है। उसके बाद उन दोनों की शादी कर दी जाती है। कलश जनजाति की लड़कियां गैर मजहब में शादी करना बिल्कुल भी मुनासिब नहीं समझती। वह अपने ही जनजाति की लड़के के साथ शादी करना संस्कृति का एक हिस्सा मानती है।
मनाते हैं मौत का उत्सव
यह समुदाय मिट्टी और लकड़ी से बने घरों में रहते हैं। कलश लोग हिंदू देवी देवताओं की पूजा करते हैं। इस समुदाय में बलि देने की परंपरा भी है। कलश समुदाय में किसी भी व्यक्ति के मौत पर शोक नहीं मनाया जाता है, बल्कि इस समुदाय में किसी की मौत का उत्सव मनाया जाता है। समुदाय के लोग नाचते गाते हैं और जश्न मनाते हैं। कलश जनजाति में हिंदू देवता भगवान शिव को यह जनजाति विशेष रूप से मनाती है। इस जनजाति में भगवान इंद्र और भगवान यमराज के पूजा का भी विधान है। इनका एक पारंपरिक त्योहार चाओमोश जिसमें वह अपने तरीके से भगवान इंद्र और भगवान शिव की पूजा करते हैं। भारत के विभाजन के समय कलश घाटियों में कलश जनजाति की कुल आबादी लगभग 30 हजार की गई थी लेकिन पाकिस्तान के निर्माण के बाद उनकी संख्या में तेजी से क्या उठा आई अब चित्रण जिले की इन घाटियों में केवल 3800 कलश जनजाति के लोग रहते है।
खत्म होती कलश जनजाति
ज्यादातर कलश जनजाति के लोग बेहद अभावग्रस्त जीवन जीते हैं क्योंकि, यह अभी भी पूर्ण रूप से घाटी में कृषि, पशुपालन और घाटी में होने वाली उपज पर निर्भर है। आज यह जनजाति विषम परिस्थितियों में अपने आप को बचाए रखने में सक्षम हो पाई है। परंतु लगातार होते धर्मांतरण और धर्मांतरण के बढ़ते दबाव के कारण यह जनजाति अगले 10 या 15 सालों में पूर्ण रूप से खत्म हो जाएगी। आज इस जनजाति को बचाने के लिए व्यापक रूप से कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर आपको यह लेख पसंद आया और अगर आप भी इस जनजाति को बचाना चाहते हैं, अगर आप चाहते हैं कि इस जनजाति के बारे में और भी लोग जानें तो इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर कर सकते हैं।