(La Perouse 25 naval exercise) भारत, फ्रांस और अमेरिका सहित नौ देशों के साथ आठ दिवसीय ला पेरोस 25 नौसैनिक अभ्यास (La Perouse 25 naval exercise) हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच मलक्का, सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य में आयोजित किया जा रहा है। यह नौसैनिक अभ्यास 16 जनवरी से 24 जनवरी तक चलेगा। चार क्वाड देशों के बीच इस बार भारतीय नौसेना विध्वंसक पोत आईएनएस मुंबई के साथ भाग लेगी।
फ्रांसीसी दूतावास ने यहां एक बयान में कहा कि फ्रांसीसी चार्ल्स डी गॉल विमानवाहक पोत के साथ आठ दिवसीय ला पेरोस 25 नौसैनिक अभ्यास हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच मलक्का, सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य स्ट्रेट्स में आयोजित किया जा रहा है। ये जलडमरूमध्य, वैश्विक समुद्री व्यापार के मुख्य आधार और सामरिक महत्व के हैं, तथा ये समुद्री दुर्घटनाओं और पर्यावरणीय खतरों, अवैध मादक पदार्थों की तस्करी, तथा भूकंप और सुनामी जैसे प्राकृतिक खतरों जैसे अनेक मानव-जनित जोखिमों के अधीन हैं।
(La Perouse 25 naval exercise) इस अभ्यास में भाग लेने वाले 9 देश हैं- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रिटेन, सिंगापुर भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका।
यह 18वीं सदी के एक महान खोजकर्ता के नाम पर ला पेरोस के नाम पर रखा गया है। यह नौसैनिक अभ्यास का अब तक का सबसे बड़ा संस्करण है,जिसमें आठ देश भाग ले रहे हैं। 2023 में पिछले संस्करण में सात देश शामिल थे और 2021 में फ्रांस और चार क्वाड देश शामिल थे। इस बार भारतीय नौसेना विध्वंसक आईएनएस मुंबई के साथ भाग लेगी।
समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य होगा, जिसमें निम्नलिखित का विकास शामिल होगा: (La Perouse 25 naval exercise)
समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना इस अभ्यास का मूल उद्देश्य होगा, जिसके तहत समुद्री संकट की स्थिति में सामूहिक रूप से कार्य करने की क्षमता का विकास होगा।
दूतावास के बयान में कहा गया है, “24 जनवरी तक चलने वाले इस अभ्यास के दौरान, सभी नौसेनाएं आईओआरआईएस के उपयोग का प्रशिक्षण लेंगी, जो एक संचार और समन्वय प्रणाली है, जो सूचनाओं और दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए समर्पित है, ताकि समुद्री संकट का प्रभावी और सामूहिक रूप से समन्वित तरीके से सामना किया जा सके।”
पेंटागन कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन अपनी ऊर्जा और कमर्शियल गतिविधियों के लिए मलक्का जलडमरूमध्य पर बहुत अधिक निर्भर है, कम्युनिस्ट देश के तेल आयात का लगभग 63% और कुल प्राकृतिक उत्पादन का 41% हिस्सा चीन के पास है। चीन का गैस आयात इसी लोम्बोक-सुंडा- मलक्का के गहरे समुद्री मार्ग से होकर गुजरता है।
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम अगले 10 वर्षों तक ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए बीजिंग संभवतः अफ्रीका और मध्य पूर्व से तेल और प्राकृतिक गैस के आयात पर निर्भर रहेगा। नौ देशों का यह अभ्यास समुद्री सुरक्षा अभियानों के व्यापक दायरे पर काम करने में सक्षम बनाएगा। क्षेत्र में वितरित विभिन्न बलों को संदिग्ध जहाजों की तलाश करने और फिर उन पर नियंत्रण करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
La Perouse 25 naval exercise लोम्बोक-सुंडा- मलक्का जल डमरू मध्य के बीच अवैध गतिविधियां होते रहती हैं साथ ही संदिग्ध जहाज के द्वारा आने जाने वाले व्यापारिक जहाजों पर हमले भी होते हैं इससे निपटने के लिए शक्तिशाली देशों का नौसैनिक अभ्यास निकट भविष्य में एक मील का पत्थर साबित होगा।