सोशल मीडिया प्रदूषित: चुनावी प्रक्रिया के दौरान, गलत सूचनाओं के प्रसार पर, मुख्य चुनाव आयुक्त ने वयक्त की चिंता !

मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने हाल ही में सोशल मीडिया के माध्यम से चुनावों में फैल रही गलत सूचनाओं और नकली बयानों पर चिंता जताई है। उन्होंने जोर दिया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एल्गोरिदम में बदलाव लाना ज़रूरी है ताकि यह गलत सूचना देने की बजाय स्पष्ट और सही जानकारी देने का काम करें।

सोशल मीडिया का दुरुपयोग और लोकतंत्र पर प्रभाव
राजीव कुमार ने बताया कि सोशल मीडिया ने लोगों को जानकारी तक पहुंचने और अपनी बात कहने का एक सशक्त माध्यम दिया है। हालांकि, यह अब गलत सूचनाएं और गुमराह करने वाली सामग्री फैलाने का माध्यम बन गया है। उन्होंने कहा कि बॉट्स, डीपफेक वीडियो और एआई-जनरेटेड कंटेंट जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर लोगों की राय को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है।

यह गंभीर समस्या तब और बढ़ जाती है जब चुनावी प्रक्रिया के दौरान पुरानी और नकली जानकारी प्रसारित की जाती है। इसके कारण मतदाताओं के विचारों को गलत दिशा में मोड़ा जा सकता है, जो लोकतंत्र के लिए घातक है।

तकनीकी कंपनियों से अपेक्षा
सीईसी ने बड़ी टेक कंपनियों से अपील की कि वे आत्मनिरीक्षण करें और अपने एल्गोरिदम को सुधारें। उन्होंने मांग की कि ये कंपनियां ऐसी प्रणाली बनाएं जो नकली सामग्री को पहचानकर उसे रोक सके। कुमार ने उदाहरण दिया कि पुराने और फर्जी ईवीएम वीडियो सोशल मीडिया पर चुनावों के दौरान वायरल हो जाते हैं। जबकि तकनीक इतनी उन्नत है कि इसे तुरंत पहचाना जा सकता है, फिर भी यह सामग्री फैलती है।

उन्होंने सुझाव दिया कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान गलत सूचनाओं के प्रसार को रोकने के लिए टेक कंपनियों को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

लोकतंत्र और चुनावी अखंडता पर जोर
राजीव कुमार ने कहा कि लोकतंत्र सूचकांक जैसी रेटिंग्स को भी पारदर्शी और तार्किक बनाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि इसे “चुनावी अखंडता सूचकांक” के साथ जोड़ा जाए ताकि चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल न उठे।

उन्होंने यह भी कहा कि मतदाताओं और लोकतंत्र के हित में इन सूचकांकों को ईमानदारी से तैयार किया जाना चाहिए। चुनावी विवादों और सोशल मीडिया पर फैलाए गए “प्रेरित” आख्यानों को समयबद्ध और निष्पक्ष तरीके से हल करना चाहिए।

साइबर सुरक्षा और मजबूत तंत्र की जरूरत
कुमार ने भविष्य में साइबर हमलों की बढ़ती संभावना को स्वीकार करते हुए कहा कि चुनावी प्रणाली को सुरक्षित करने के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं। एन्क्रिप्शन, घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली और फायरवॉल जैसे उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में मतदाताओं के विश्वास को बनाए रखने के लिए न्यायिक निगरानी और तकनीकी सुधारों को जरूरी बताया।

चुनाव सुधार के लिए वैश्विक सहयोग
राजीव कुमार ने ‘वैश्विक चुनाव वर्ष 2024: लोकतांत्रिक स्थानों की पुनरावृत्ति‘ नामक सम्मेलन में चुनाव सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की बात की। उन्होंने कहा कि सभी देशों को मिलकर चुनावों को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।


सोशल मीडिया का चुनावों में सही उपयोग और गलत सूचनाओं पर रोक लगाना आज के समय की बड़ी चुनौती है। सीईसी राजीव कुमार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की बात कही है। टेक कंपनियों, चुनाव आयोग और समाज को मिलकर इन चुनौतियों का समाधान करना होगा ताकि लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हों।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *