India’s ammunition becomes the center of global military power, Türkiye’s concern increases.
नई दिल्ली: भारत के रक्षा क्षेत्र में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अब यह केवल अपनी सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भी एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है। हाल ही में तुर्की की मीडिया ने भारत के गोला-बारूद की ताकत को लेकर चिंता जताई है। तुर्की की प्रमुख समाचार एजेंसी डेली सभा की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया के सबसे बड़े और उन्नत गोला-बारूद उत्पादकों में से एक बन चुका है।
तुर्की की चिंता और अज़रबैजान की बेचैनी
तुर्की, जो हाल के वर्षों में ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ा है, अब भारत की बढ़ती सैन्य ताकत से चिंतित नजर आ रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के उन्नत आर्टिलरी सिस्टम और उच्च-विस्फोटक क्षमता वाले गोला-बारूद के कारण अज़रबैजान परेशान है। अर्मेनिया, जिसने हाल ही में भारत से हथियारों की एक बड़ी खेप खरीदी है, अब अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने में लगा हुआ है। इससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है।
भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति
भारत अब आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। पहले जहां उसे अपने रक्षा उपकरणों के लिए विदेशी देशों पर निर्भर रहना पड़ता था, अब भारत खुद ही उन्नत हथियार और गोला-बारूद का निर्माण कर रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और अन्य भारतीय रक्षा कंपनियों ने अत्याधुनिक सैन्य तकनीक पर काम करते हुए कई घातक हथियार विकसित किए हैं।
भारत के प्रमुख रक्षा उपकरण और उनकी क्षमता
1. ATAGS (Advanced Towed Artillery Gun System)
यह दुनिया की सबसे घातक और लंबी रेंज वाली आर्टिलरी गन में से एक है। यह 48 किमी तक सटीक निशाना लगाने में सक्षम है और इसकी उच्च-विस्फोटक शक्ति इसे और भी घातक बनाती है।
2. वज्र (K9 Vajra-T)
यह एक स्व-चालित होवित्जर तोप है, जिसे भारतीय सेना के लिए तैयार किया गया है। इसका उपयोग कठिन पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में किया जा सकता है।
3. पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर
यह भारतीय सेना का एक अहम हथियार है, जो बड़े पैमाने पर तबाही मचाने में सक्षम है। यह 75 किमी की दूरी तक मार कर सकता है और इसे आधुनिक युद्ध के लिए उपयुक्त माना जाता है।
रक्षा निर्यात में भारत की नई ऊंचाई
भारत का रक्षा निर्यात लगातार बढ़ रहा है।
- 2022 में भारत ने लगभग 16,000 करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया।
- 2024 में यह आंकड़ा 20,000 करोड़ के पार पहुंच गया।
- भारत अब रक्षा निर्यात के मामले में शीर्ष 25 देशों में शामिल हो चुका है।
विशेष रूप से, अर्मेनिया भारत से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद खरीद रहा है। इससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
तुर्की के ड्रोन बनाम भारत की आर्टिलरी रणनीति
तुर्की के Bayraktar TB2 ड्रोन को विश्व के सबसे खतरनाक ड्रोन में गिना जाता था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक ने इसे निष्क्रिय कर दिया। इस घटनाक्रम के बाद यह साबित हो गया कि पारंपरिक युद्ध में फाइटर जेट और आर्टिलरी सिस्टम की भूमिका अब भी महत्वपूर्ण बनी हुई है।
भारत ने इसे ध्यान में रखते हुए अपनी सैन्य रणनीति को ड्रोन पर केंद्रित करने के बजाय शक्तिशाली मिसाइल और गोला-बारूद निर्माण पर फोकस किया है। इसके तहत भारत ने ATAGS, K9 वज्र और पिनाका जैसे हथियार विकसित किए हैं।
क्या भारत नई सैन्य महाशक्ति बन रहा है?
तुर्की के मीडिया की रिपोर्ट भारत की बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर चिंता को दर्शाती है। भारत अब केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों के लिए भी हथियार बना रहा है। इसकी नई रक्षा नीति इस बात को साफ करती है कि वह रूस, अमेरिका और चीन के अलावा वैश्विक सैन्य शक्ति के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है।
भारत का रक्षा क्षेत्र अब आत्मनिर्भरता और निर्यात की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अत्याधुनिक तकनीकों और घातक हथियारों के कारण भारत दुनिया के टॉप रक्षा उत्पादक देशों की सूची में शामिल हो रहा है। तुर्की की चिंता और अज़रबैजान की बेचैनी इस बात का प्रमाण हैं कि भारत का गोला-बारूद वैश्विक स्तर पर शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। आने वाले वर्षों में, भारत की रक्षा क्षमताएं और मजबूत होंगी, जिससे यह एक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो सकेगा।