महाकुंभ में गंगा-यमुना की स्वच्छता बनाए रखने के लिए होता है इन मशीनों का उपयोग, प्रतिदिन हटाया जाता है 15 टन कचरा।


हाई-टेक ट्रैश स्कीमर से प्रतिदिन 15 टन कचरा हटाने का अभियान

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान गंगा और यमुना नदियों को स्वच्छ एवं अविरल बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज नगर निगम ने नए तकनीक का सहारा लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर नदियों की सतह से तैरते कचरे को हटाने के लिए हाई-टेक ट्रैश स्कीमर मशीन तैनात की गई है, जो प्रतिदिन 10-15 टन कचरा एकत्र कर रही है। यह पहल न केवल श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध करा रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक मिसाल बन गई है।

क्यों जरूरी हुआ ट्रैश स्कीमर का उपयोग?

महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन के दौरान लाखों श्रद्धालु संगम क्षेत्र में स्नान करते हैं। इस दौरान नदियों में प्लास्टिक, धार्मिक प्रसाद, फूल-मालाएं, कपड़े और अन्य कचरा बहा दिया जाता है, जो जल प्रदूषण का प्रमुख कारण बनता है। पारंपरिक मैनुअल सफाई इतने बड़े पैमाने पर कचरे को हटाने में अक्षम थी। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए प्रयागराज नगर निगम ने 2022 में पहली बार ट्रैश स्कीमर मशीन लगाई, जिसकी सफलता के बाद अब दूसरी मशीन भी शामिल की गई है।

क्या है ट्रैश स्कीमर मशीन?

ट्रैश स्कीमर एक उन्नत जल सफाई उपकरण है, जो नदियों, झीलों और समुद्रों की सतह पर तैरते कचरे को स्वचालित तरीके से एकत्र करता है। यह मशीन प्लास्टिक, धातु, कपड़े, जलकुंभी, धार्मिक अपशिष्ट और यहां तक कि मृत जानवरों को भी हटाने में सक्षम है। प्रयागराज में उपयोग की जा रही मशीन की क्षमता 13 क्यूबिक मीटर है, जो संगम क्षेत्र समेत नदी के 4 किलोमीटर के दायरे को कवर करती है।

मशीन की कार्यप्रणाली:

  1. हाइड्रॉलिक गेट्स: मशीन के दोनों ओर लगे गेट कचरे को रोकने के लिए स्वचालित रूप से बंद हो जाते हैं।
  2. कन्वेयर बेल्ट: फंसे हुए कचरे को बेल्ट के जरिए एकत्रित किया जाता है।
  3. अनलोडिंग प्रक्रिया: कचरे को निपटान स्थल तक पहुंचाने के लिए दूसरी बेल्ट का उपयोग होता है।

कचरा निपटान की हरित प्रक्रिया

ट्रैश स्कीमर द्वारा एकत्र कचरे को प्रयागराज के नैनी क्षेत्र में ले जाया जाता है, जहां से इसे बसवार स्थित प्रसंस्करण संयंत्र में छांटा जाता है। यहां:

  • प्लास्टिक और धातु को रिसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता है।
  • जैविक कचरा (फूल, नारियल आदि) को खाद में बदला जाता है।
  • अपघटित होने वाली वस्तुएं वैज्ञानिक तरीके से नष्ट की जाती हैं।

यह प्रक्रिया न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखती है, बल्कि कचरे का आर्थिक उपयोग भी सुनिश्चित करती है।

महाकुंभ में क्रांतिकारी बदलाव

नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, ट्रैश स्कीमर के उपयोग से एकत्र कचरे की मात्रा में 20 गुना वृद्धि हुई है। पहले मैनुअल सफाई में प्रतिदिन 2-3 टन कचरा ही हट पाता था, जबकि अब यह संख्या 15 टन तक पहुंच गई है। इससे नदियों का पानी न केवल स्वच्छ हुआ है, बल्कि जलमार्ग भी नौगम्य बने हैं।

टेक्नोलॉजी और स्थानीय प्रशासन का सहयोग

मुंबई से खरीदी गई यह मशीन 5 साल के अनुबंध पर संचालित है, जिसका रखरखाव आपूर्तिकर्ता कंपनी द्वारा किया जा रहा है। नगर निगम के अधिकारी श्री राजेश तिवारी के अनुसार, “ट्रैश स्कीमर ने नदी सफाई को गति दी है। इससे श्रद्धालुओं को स्वच्छता का अनुभव मिल रहा है, और हमारे कर्मचारियों का बोझ भी कम हुआ है।”

स्वच्छता की नई मिसाल

महाकुंभ में ट्रैश स्कीमर की तैनाती नदी स्वच्छता के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाती है। यह तकनीक न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि देशभर की नदियों के लिए एक आदर्श बन सकती है। आगे की चुनौती यह सुनिश्चित करने की है कि महाकुंभ के बाद भी यह अभियान निरंतर चलता रहे, ताकि गंगा-यमुना का पावन प्रवाह हमेशा निर्मल बना रहे।

ट्रैश स्कीमर के लाभ: पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए

  • जल जीवों का संरक्षण: प्लास्टिक कचरा मछलियों और अन्य जलीय जीवों के लिए घातक है। स्कीमर इसे हटाकर इकोसिस्टम बचाता है।
  • पर्यटन को बढ़ावा: स्वच्छ नदियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।

भविष्य की योजनाएं

प्रयागराज नगर निगम नदी सफाई के लिए और अधिक मशीनें खरीदने पर विचार कर रहा है। साथ ही, जनता को जागरूक करने के लिए “नदी में कचरा न डालें” अभियान चलाया जा रहा है।

इस प्रकार, ट्रैश स्कीमर तकनीक न केवल महाकुंभ बल्कि भारत की नदियों के पुनर्जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।

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