पटना, बिहार की राजधानी, ऐतिहासिक धरोहरों, सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक विकास परियोजनाओं का संगम है। इसी कड़ी में, गांधी मैदान में स्थापित देश की सबसे बड़ी मेगास्क्रीन ने पटना को एक नई पहचान दी है। यह विशाल स्क्रीन शहरवासियों के मनोरंजन, शिक्षा और सूचना प्रसार का एक अनूठा माध्यम बनी है।
मेगास्क्रीन परियोजना की शुरुआत और उद्देश्य
गांधी मैदान में यह विशाल स्क्रीन पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड (PSCL) के तहत स्थापित की गई थी। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य शहरवासियों को एक सार्वजनिक मनोरंजन स्थल प्रदान करना और सरकारी योजनाओं एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जानकारी उपलब्ध कराना था।
इस परियोजना के पीछे बिहार सरकार की सोच थी कि खुले आसमान के नीचे, मुफ्त में बड़े पर्दे पर मनोरंजन और शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराई जाए, जिससे आम नागरिकों, खासकर गरीब तबके के लोगों को लाभ मिले। सरकार चाहती थी कि पटना का यह ऐतिहासिक मैदान आधुनिक तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चले और लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बने।
मेगास्क्रीन की तकनीकी विशेषताएँ
- आकार और गुणवत्ता
- यह मेगास्क्रीन 75 फीट चौड़ी और 42 फीट ऊँची है, जो इसे भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्क्रीन बनाती है।
- स्क्रीन पीवीसी (PVC) सामग्री से बनी है और यह इन्फ्लेटेबल (Inflatable) तकनीक पर आधारित है, यानी इसे हवा भरकर खड़ा किया जाता है।
- दृश्यता और ध्वनि प्रणाली
- यह स्क्रीन डॉल्बी डिजिटल सराउंड साउंड सिस्टम से लैस है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली ऑडियो का अनुभव मिलता है।
- स्क्रीन की स्पष्टता और ब्राइटनेस इतनी अधिक है कि लोग 300 फीट की दूरी से भी साफ-साफ देख सकते हैं।
- इसे 30 फीट ऊँचाई पर ट्रस (Truss) की मदद से लगाया गया है, जिससे मैदान में बैठे हजारों लोग बिना किसी बाधा के देख सकते हैं।
- क्षमता और दर्शक अनुभव
- एक समय में लगभग 5,000 लोग इस स्क्रीन पर दिखाई जाने वाली सामग्री का आनंद ले सकते हैं।
- यह प्रणाली विशेष रूप से खुली जगहों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग के लिए डिज़ाइन की गई है।
परियोजना का उद्घाटन और आरंभिक कार्यान्वयन
इस मेगास्क्रीन का शुभारंभ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया था। उद्घाटन के बाद इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए खोला गया, जहाँ पहले कुछ महीनों में विभिन्न शैक्षणिक फिल्मों, राष्ट्रीय एवं सामाजिक जागरूकता कार्यक्रमों, खेल आयोजनों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का प्रसारण किया गया।
इसके बाद, पटना नगर निगम ने कुछ चुनिंदा बॉलीवुड और क्षेत्रीय फिल्मों की स्क्रीनिंग शुरू की, ताकि लोग अपने परिवार के साथ मुफ्त में मनोरंजन का आनंद ले सकें। कुछ कार्यक्रमों में देशभक्ति पर आधारित फिल्में भी दिखाई गईं, जिनका मुख्य उद्देश्य युवाओं और बच्चों में देशप्रेम की भावना जागृत करना था।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया और लोकप्रियता
- आम लोगों का उत्साह
- इस परियोजना को पटना के निवासियों ने खुले दिल से स्वीकार किया।
- लोगों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुले वातावरण में बड़े पर्दे पर फिल्म देखने का अनूठा अनुभव प्राप्त हुआ।
- बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में भी इसे लेकर खासा उत्साह देखा गया।
- साप्ताहिक कार्यक्रमों की शुरुआत
- प्रत्येक शुक्रवार और शनिवार को फिल्में और रविवार को डॉक्यूमेंट्री व खेलों के लाइव प्रसारण का सिलसिला शुरू किया गया।
- विशेष अवसरों पर राष्ट्रीय पर्व, स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कहानियाँ और महापुरुषों की जीवनी पर आधारित फिल्में दिखाई जाती रहीं।
- खेल प्रेमियों के लिए खास
- क्रिकेट और अन्य खेल आयोजनों को लेकर युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया।
- विशेष रूप से आईपीएल और भारत के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का लाइव प्रसारण किया गया, जिससे हजारों क्रिकेट प्रेमी यहाँ एकत्रित हुए।
तकनीकी और प्रबंधन संबंधी चुनौतियाँ
इस परियोजना को शुरू करने में कई तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा:
- मौसम की अनिश्चितता
- यह स्क्रीन हवा से भरी जाती है, इसलिए तेज हवा, बारिश और खराब मौसम में स्क्रीनिंग रोकनी पड़ती है।
- प्रबंधन की समस्याएँ
- पटना नगर निगम और संबंधित एजेंसियों के बीच अनुबंध संबंधी समस्याओं के कारण कभी-कभी संचालन बाधित होता रहा।
- मेंटेनेंस और संचालन की जिम्मेदारी निभाने में प्रशासन को दिक्कतें आईं।
- निरंतरता की कमी
- शुरुआत में यह परियोजना काफी सक्रिय रही, लेकिन धीरे-धीरे स्क्रीनिंग में कमी आई।
- फिल्मों और कार्यक्रमों की नियमितता में गिरावट आई, जिससे दर्शकों की संख्या भी घटने लगी।
भविष्य की संभावनाएँ और आवश्यक सुधार
यह परियोजना पटना की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की एक अनूठी पहल है। इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित सुधार आवश्यक हैं:
- नियमित कार्यक्रमों का आयोजन
- प्रत्येक सप्ताह नए विषयों पर फिल्में और शैक्षिक डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएँ।
- क्रिकेट और अन्य प्रमुख खेलों के लाइव प्रसारण को बढ़ावा दिया जाए।
- प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी
- विभिन्न कंपनियों के साथ विज्ञापन और प्रायोजन समझौते किए जाएँ, जिससे आर्थिक स्थिरता बनी रहे।
- स्थायी प्रबंधन टीम की नियुक्ति
- मेंटेनेंस और संचालन के लिए एक समर्पित टीम नियुक्त की जाए, जिससे इसे सुचारू रूप से चलाया जा सके।
#मेगास्क्रीन
पटना के गांधी मैदान में स्थापित यह मेगास्क्रीन सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इसे सही तरीके से प्रबंधित किया जाए, तो यह आने वाले वर्षों में पटना के निवासियों के लिए गर्व और आनंद का स्रोत बनी रहेगी।
इस तरह की पहल भारत के अन्य शहरों में भी की जानी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग मनोरंजन, शिक्षा और सामूहिक अनुभवों का लाभ उठा सकें।
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