Gurgaon couple finds their lost dog after three months!
आगरा: प्यार और समर्पण की मिसाल पेश करते हुए गुड़गांव के एक दंपत्ति ने तीन महीने की अथक मेहनत के बाद अपने खोए हुए पालतू कुत्ते को ढूंढ निकाला। दीपायन घोष और कस्तूरी पात्रा का ग्रेहाउंड नस्ल का कुत्ता ‘वूफ़’ पिछले साल दीवाली के समय आगरा में खो गया था। उसकी खोज में उन्होंने न केवल पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद ली, बल्कि ड्रोन, सीसीटीवी फुटेज और 50,000 रुपये तक के इनाम का भी सहारा लिया। आखिरकार, उन्हें सफलता तब मिली जब ताजमहल के पास स्थित मेहताब बाग के जंगलों में वूफ़ मिल गया।
कैसे खोया वूफ़?
घटना 3 नवंबर की है, जब दीपायन और कस्तूरी अपने दो पालतू कुत्तों के साथ आगरा भ्रमण पर आए थे। वे एक होटल में ठहरे थे, लेकिन जब वे फतेहपुर सीकरी घूमने गए, तो होटल से एक बुरी खबर आई—उनका कुत्ता वूफ़ होटल से निकलकर कहीं लापता हो गया था। होटल के कर्मचारियों के मुताबिक, वह गेट खुलते ही तेज़ी से बाहर भाग गया था। इसके बाद, इस दंपत्ति ने अपने प्यारे पालतू को वापस लाने का संकल्प लिया।
पहला सुराग: ताजमहल मेट्रो स्टेशन
पाँच नवंबर को, वूफ़ को आखिरी बार ताजमहल मेट्रो स्टेशन के पास देखा गया था। सीसीटीवी फुटेज में वह शाहजहां गार्डन की ओर भागता हुआ दिखाई दिया, लेकिन उसके बाद उसका कोई पता नहीं चला। दंपत्ति ने होटल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की मदद से खोजबीन जारी रही, लेकिन सफलता नहीं मिली।
घर-घर जाकर खोजबीन, इनाम राशि बढ़ाई
दीपायन और कस्तूरी ने हार नहीं मानी और दो हफ्तों तक आगरा में ही रहकर स्थानीय लोगों से पूछताछ की। उन्होंने 30,000 रुपये का इनाम घोषित किया, जिसे बाद में बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया। शहरभर में पोस्टर लगाए गए, सोशल मीडिया पर अपीलें की गईं, और दुकानदारों तक से संपर्क किया गया।
नौकरी छोड़कर जुटे तलाश में
दीपायन टाटा कंपनी में काम करते हैं, जबकि कस्तूरी एक व्यवसायी हैं। तीन महीनों तक उन्होंने अपने काम से अधिक प्राथमिकता वूफ़ की तलाश को दी। दीपायन ने छुट्टियाँ लीं, और कस्तूरी ने अपने व्यवसाय को अस्थायी रूप से रोक दिया। उनके लिए केवल एक ही उद्देश्य था—वूफ़ को वापस पाना।
तकनीकी मदद: ड्रोन, सीसीटीवी और खोजी कुत्ते
दंपत्ति ने आधुनिक तकनीक का भी सहारा लिया। ड्रोन की मदद से आगरा की गलियों और जंगलों की तलाशी ली गई। पुलिस ने सौ से अधिक सीसीटीवी फुटेज की जांच की और शाहजहां गार्डन के पास खोजी कुत्तों को लगाया गया। हालांकि, इन सभी प्रयासों के बावजूद वूफ़ नहीं मिला।
झूठी सूचनाओं से बढ़ी मुश्किलें
इस दौरान कई लोगों ने झूठी जानकारी देकर इनाम पाने की कोशिश की। किसी ने बताया कि वूफ़ को किसी गाँव में देखा गया, तो किसी ने कहा कि वह एक ट्रक में बैठा था। कस्तूरी बताती हैं, “हम हर बार नई उम्मीद लेकर निकलते, लेकिन निराश होकर लौटते।” एक बार किसी ने बताया कि यमुना किनारे वूफ़ को देखा गया है, जिसके बाद दंपत्ति रातभर वहाँ खड़े रहे, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
आखिरी सुराग: मेहताब बाग का जंगल
16 फरवरी को एक स्थानीय गाइड प्रशांत जैन ने फोन कर बताया कि उन्होंने एक दुबले-पतले कुत्ते को मेहताब बाग के पास देखा है, जो वूफ़ जैसा लग रहा था। यह सुनते ही दीपायन और कस्तूरी तुरंत गुड़गांव से आगरा पहुँचे। रात को अंधेरे में कस्तूरी ने वूफ़ का नाम पुकारा, पहले कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, लेकिन थोड़ी देर बाद एक कमजोर आवाज़ सुनाई दी।
कस्तूरी कहती हैं, “वो इतनी कमजोर हो गई थी कि पहचानना मुश्किल था, लेकिन जब मैंने उसे पुकारा, तो वह दौड़कर मेरी ओर आई।” दोनों ने उसे गोद में उठा लिया और खुशी से रो पड़े।
वूफ़ की हालत और देखभाल
जब वूफ़ खोई थी, तब उसका वजन 38 किलो था, लेकिन तीन महीने बाद वह केवल 15 किलो की रह गई थी। उसके शरीर पर घाव थे और वह बेहद कमजोर थी। डॉक्टरों ने बताया कि वह कई दिनों तक भूखी रही होगी और संभवतः जंगली जानवरों के हमले से बच निकली। अब उसकी देखभाल की जा रही है और वह धीरे-धीरे ठीक हो रही है।
सबक और भविष्य की योजना
यह अनुभव दीपायन और कस्तूरी के लिए जीवनभर की सीख बन गया। कस्तूरी कहती हैं, “हमने सीखा कि प्यार और दृढ़ निश्चय से कुछ भी संभव है। वूफ़ के बिना हमारा घर अधूरा था, लेकिन अब हमारी जिंदगी वापस पटरी पर आ गई है।”
होटल के खिलाफ केस वापस लिया
दंपत्ति ने होटल प्रबंधन के खिलाफ की गई शिकायत वापस ले ली है। होटल प्रशासन ने माफी माँगी और कुत्ते के मिलने की खुशी व्यक्त की। पुलिस भी इस खोज के सफल समापन से संतुष्ट है।
खुशहाल अंत
रविवार को वूफ़ के साथ दीपायन और कस्तूरी गुड़गांव लौट गए। कार में बैठे वूफ़ को देखकर दोनों की आँखें नम थीं। कस्तूरी ने कहा, “अब हम आगरा फिर आएँगे, लेकिन सिर्फ खुशियों के लिए। यह शहर हमें हमेशा याद दिलाएगा कि हमने यहाँ अपने प्यारे वूफ़ को वापस पाया।”
यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि प्यार और अटूट विश्वास के आगे कोई चुनौती बड़ी नहीं होती। दीपायन और कस्तूरी का समर्पण रंग लाया, और आखिरकार उनके परिवार का एक अहम सदस्य फिर से उनके पास लौट आया।