(एजेंसियों/न्यूज डेस्क)
लंदन: ब्रिटेन की गृह मंत्रालय (होम ऑफिस) द्वारा तैयार एक लीक हुई गोपनीय रिपोर्ट ने देश में हिंदू राष्ट्रवादी उग्रवाद और खालिस्तानी उग्रवाद को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नौ उभरते खतरों में शामिल किया है। यह रिपोर्ट अगस्त 2024 में गठित एक विशेष समिति द्वारा बनाई गई, जिसमें पहली बार हिंदुत्व से जुड़े समूहों को “चिंता की विचारधारा” के रूप में चिह्नित किया गया है। इससे भारतीय डायस्पोरा और ब्रिटेन-भारत संबंधों पर नई बहस छिड़ने की आशंका है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- 9 उग्रवादी खतरे: रिपोर्ट में इस्लामवादी, चरम दक्षिणपंथी, स्त्री-द्वेष, पर्यावरण चरमपंथ, वामपंथी/अराजकतावादी, एकल-मुद्दे वाला चरमपंथ, षड्यंत्र सिद्धांत, खालिस्तानी उग्रवाद, और हिंदू राष्ट्रवादी उग्रवाद को प्रमुख खतरों की सूची में रखा गया।
- हिंदुत्व को लेकर चिंता: ब्रिटेन में 2022 के लीसेस्टर दंगों (भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बाद हिंदू-मुस्लिम झड़प) के बाद हिंदू राष्ट्रवादी समूहों की गतिविधियों पर नज़र बढ़ी। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ समूह “हिंदू पहचान” को लेकर आक्रामक प्रचार करते हैं, जिससे सामुदायिक तनाव बढ़ता है।
- खालिस्तानी उग्रवाद का प्रभाव: खालिस्तान समर्थकों पर आरोप है कि वे मुस्लिम समुदायों के खिलाफ झूठे बाल शोषण के दावे और “भारत-ब्रिटेन सरकारों की सिख विरोधी साजिश” जैसे सिद्धांत फैला रहे हैं। साथ ही, कनाडा व अमेरिका में सिख नेताओं की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों को भी रिपोर्ट में उठाया गया।
लीसेस्टर दंगों की भूमिका
सितंबर 2022 में, एशिया कप क्रिकेट मैच के दौरान भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता ने लीसेस्टर में हिंसा को हवा दी। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच झड़पों में 50 से अधिक लोग घायल हुए, 47 गिरफ्तारियां हुईं, और संपत्ति को नुकसान पहुंचा। ब्रिटिश मीडिया ने इन घटनाओं में भारतीय मूल के हिंदू समूहों की भूमिका पर सवाल उठाए थे। रिपोर्ट के अनुसार, यही घटना हिंदू राष्ट्रवाद को “सुरक्षा खतरा” मानने का आधार बनी।
खालिस्तानी गतिविधियों पर नज़र
ब्रिटेन में सिखों की आबादी लगभग 5 लाख है, जिनमें से कुछ समूह खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करते हैं। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ये समूह:
- ऑनलाइन प्रोपेगैंडा के ज़रिए युवाओं को हिंसा के लिए उकसाते हैं।
- भारतीय राजनयिकों और हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने की धमकियां देते हैं।
- किसान आंदोलन और पंजाब में नशा मुक्ति अभियान जैसे मुद्दों का इस्तेमाल सामुदायिक विभाजन फैलाने के लिए करते हैं।
भारत-ब्रिटेन तनाव की आशंका
रिपोर्ट में भारत पर कनाडा में निज़ामी हत्या (2023) और अमेरिका में सिख नेता की हत्या के षड्यंत्र (2023) में शामिल होने के आरोपों का ज़िक्र है। हालांकि भारत इन आरोपों को “निराधार” बताता रहा है, ब्रिटेन द्वारा इन्हें गंभीरता से लेना द्विपक्षीय संबंधों में नई टेंशन पैदा कर सकता है।
सरकार और समुदाय की प्रतिक्रिया
- ब्रिटिश मंत्री का बयान: गृह मंत्रालय के राज्य मंत्री डैन जार्विस ने स्पष्ट किया कि यह रिपोर्ट “नई नीति नहीं, बल्कि आंतरिक विश्लेषण” है। उन्होंने कहा कि उग्रवाद की परिभाषा में अभी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
- भारतीय प्रतिक्रिया: भारतीय विदेश मंत्रालय ने अतीत में ब्रिटेन से खालिस्तानी समर्थकों पर कार्रवाई की मांग की है। हिंदू संगठनों ने इस रिपोर्ट को “भारतीय संस्कृति के खिलाफ पूर्वाग्रह” बताया है।
क्यों है यह रिपोर्ट अहम?
- पहली बार हिंदुत्व पर फोकस: ब्रिटेन ने पहले कभी हिंदू समूहों को चरमपंथी नहीं माना था। यह कदम भारतीय डायस्पोरा में चिंता बढ़ा सकता है।
- राजनीतिक प्रभाव: ब्रिटेन में आगामी चुनावों से पहले यह रिपोर्ट सरकार पर “सांप्रदायिक तनाव रोकने” का दबाव बढ़ाएगी।
- अंतरराष्ट्रीय संबंध: भारत और ब्रिटेन के बीच चल रही मुक्त व्यापार वार्ता (FTA) पर भी इसका असर पड़ सकता है।
यह रिपोर्ट ब्रिटेन में बढ़ते सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और विदेशी हस्तक्षेप की आशंकाओं को दर्शाती है। हालांकि, बिना ठोस सबूतों के हिंदू समुदाय को “खतरा” बताना विवादास्पद हो सकता है। भारत और ब्रिटेन दोनों के लिए चुनौती यह है कि वे सुरक्षा चिंताओं और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन बनाएं।
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(स्रोत: द गार्जियन, बीबीसी, टाइम्स ऑफ इंडिया, एएनआई)