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महाकुंभ पर लालू यादव का विवादित बयान: ‘फालतू है कुंभ’, शंकराचार्य और भाजपा नेताओं ने जताई नाराजगी!

महाकुंभ पर लालू यादव का विवादित बयान: ‘फालतू है कुंभ’, शंकराचार्य और भाजपा नेताओं ने जताई नाराजगी!

महाकुंभ पर लालू यादव का विवादित बयान: ‘फालतू है कुंभ’, शंकराचार्य और भाजपा नेताओं ने जताई नाराजगी!

पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। इस बार उन्होंने भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ को “फालतू” कहकर एक नई बहस छेड़ दी है। उनके इस बयान पर हिंदू धार्मिक नेताओं, भाजपा नेताओं और अन्य राजनीतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है

लालू यादव का विवादास्पद बयान

शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की घटना के बाद पत्रकारों ने लालू यादव से महाकुंभ 2025 के लिए भीड़ प्रबंधन को लेकर उनकी राय पूछी। इस पर उन्होंने कहा,

“कुंभ का कोई मतलब नहीं है, यह सब फालतू है।”

उनके इस बयान के बाद धार्मिक और राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया। महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए प्रयागराज आते हैं। लालू यादव के इस बयान को हिंदू धर्म और परंपराओं का अपमान बताया जा रहा है।

शंकराचार्य और हिंदू धार्मिक नेताओं की प्रतिक्रिया

लालू यादव के बयान पर गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा,

“मुझे ऐसे नेताओं पर दया आती है जो इस तरह की संकीर्ण मानसिकता रखते हैं। भगवान ऐसे लोगों को सद्बुद्धि दें।”

उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या कोई और सरकार इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को संभालने में सक्षम रही है?

इसके अलावा कई अन्य धार्मिक गुरुओं ने भी लालू यादव के बयान की आलोचना की। उनका कहना है कि महाकुंभ भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसे “फालतू” कहना देश की आस्था का अपमान करना है

राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया

लालू यादव के बयान पर भाजपा और जदयू समेत कई दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

भाजपा नेता नरेश बंसल ने कहा:

“इस पर सबकी अपनी राय हो सकती है, लेकिन कई लोग कह रहे हैं कि लालू खुद राजनीति में बेकार हो चुके हैं।”

बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा:

“लालू यादव ने हमेशा सनातन संस्कृति पर हमला किया है। उनका यह बयान उनकी मानसिकता को दर्शाता है। ये लोग तुष्टीकरण की राजनीति के लिए अपने ही मूल्यों को छोड़ चुके हैं।”

जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा:

“महाकुंभ करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। इसे लेकर इस तरह की टिप्पणी करना न केवल अनुचित बल्कि दुखद भी है।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू यादव का यह बयान हिंदू वोटबैंक को नाराज कर सकता है, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में, जहां धर्म और आस्था राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़: क्या था मामला?

लालू यादव का यह बयान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटना के संदर्भ में आया

शनिवार रात करीब 10 बजे हजारों श्रद्धालु प्रयागराज जाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचे। भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि स्टेशन पर अव्यवस्था फैल गई और भगदड़ मच गई। इस हादसे में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए

कैसे हुई भगदड़?

दिल्ली पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) रेलवे केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि इस घटना की वजह घोषणा में भ्रम और भीड़ नियंत्रण की कमी थी

रेलवे प्रशासन की लापरवाही?

लालू यादव ने इस घटना का पूरा ठीकरा रेलवे प्रशासन पर फोड़ा। उन्होंने कहा,

“यह पूरी तरह से रेलवे का कुप्रबंधन है। रेल मंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”

विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे को इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए बेहतर योजना बनानी चाहिए थी

महाकुंभ 2025: क्या हैं चुनौतियां?

महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इस आयोजन के दौरान यातायात, सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी

सरकार और प्रशासन भीड़ प्रबंधन के लिए नई रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं:

क्या लालू यादव के बयान से बदलेगा राजनीतिक समीकरण?

विश्लेषकों का मानना है कि लालू यादव का यह बयान 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है

निष्कर्ष

लालू यादव के महाकुंभ को “फालतू” कहने के बयान से भारी विवाद खड़ा हो गया है। धार्मिक नेताओं और भाजपा समेत कई दलों ने इस बयान की कड़ी आलोचना की है

वहीं, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की घटना रेलवे की लापरवाही को उजागर करती है। महाकुंभ 2025 को लेकर प्रशासन के सामने भीड़ नियंत्रण और यातायात प्रबंधन की बड़ी चुनौती है

आने वाले दिनों में देखना होगा कि लालू यादव अपने बयान पर कायम रहते हैं या सफाई देते हैं, लेकिन फिलहाल उनका यह बयान राजनीतिक विवाद का केंद्र बन चुका है

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