Maharashtra Police rescues woman and child who were chained for two months due to an inter-religious marriage.
जालना (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के जालना जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 23 वर्षीय मुस्लिम महिला और उसके तीन साल के बेटे को उसके ही माता-पिता ने दो महीने तक जंजीरों में बांधकर घर में कैद रखा। महिला के परिजनों ने उसे इसलिए बंधक बना लिया क्योंकि उसने एक दलित व्यक्ति से शादी कर ली थी। अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने 29 जनवरी 2025 को कार्रवाई करते हुए महिला और उसके बेटे को मुक्त कराया।
कैसे हुआ महिला का अपहरण और कैद?
भोकरदन तहसील के अलापुर गांव की रहने वाली 23 वर्षीय शहनाज़ उर्फ सोनल ने 2020 में एक दलित युवक से शादी की थी। इस विवाह से उसके माता-पिता बेहद नाराज थे। हालांकि, शादी कानूनी रूप से पंजीकृत थी, और दोनों का एक तीन वर्षीय बेटा भी है।
महिला की मां ने उसे मिलने के बहाने मायके बुलाया और दावा किया कि परिवार ने उसे माफ कर दिया है। जब महिला अपने बेटे के साथ अपने गांव पहुंची, तो उसके पति को बेरहमी से पीटकर घर से निकाल दिया गया। इसके बाद महिला और उसके बेटे को एक कमरे में बंद कर दिया गया और उनके पैरों में जंजीरें डाल दी गईं।
पति ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार
महिला के पति ने बार-बार उसे वापस लाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे मायके वालों ने रोक दिया। आखिरकार, उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ में न्याय की गुहार लगाई। अदालत ने तुरंत पुलिस को कार्रवाई करने का आदेश दिया।
पुलिस ने कैसे किया रेस्क्यू ऑपरेशन?
भोकरदन पुलिस थाने के सब-इंस्पेक्टर बी.टी. सहाने ने बताया कि अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने जनवरी में दो बार घर पर छापा मारा, लेकिन महिला और बच्चा वहां नहीं मिले। इसके बाद पुलिस ने उसके भाई से बातचीत की, जिसने बताया कि महिला को कहां और कैसे कैद करके रखा गया था।
29 जनवरी को पुलिस ने सादे कपड़ों में गांव पहुंचकर घर पर छापा मारा। जब पुलिस ने घर के अंदर प्रवेश किया, तो देखा कि महिला और उसका बेटा एक कमरे में बंद थे और उनके टखनों में जंजीरें बंधी हुई थीं। माता-पिता ने पुलिस को रोकने की कोशिश की, लेकिन अधिकारी उन्हें काबू में कर महिला को छुड़ाने में सफल रहे।
कोर्ट ने पति को सौंपी महिला और बच्चा
महिला और उसके बेटे को उसी दिन अदालत में पेश किया गया। सरकारी वकील की सहायता से न्यायालय ने महिला को उसके पति के हवाले कर दिया।
सब-इंस्पेक्टर सहाने ने बताया, “हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगर पीड़िता चाहेगी, तो एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। महिला 5 फरवरी 2025 को पुलिस स्टेशन आकर अपना बयान दर्ज करा सकती है।”
क्या होगा आगे?
इस घटना ने एक बार फिर से समाज में जातिगत भेदभाव और महिलाओं की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है, और यदि महिला की ओर से शिकायत दर्ज कराई जाती है, तो उसके माता-पिता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
समाज के लिए एक बड़ा सवाल।
भारत में अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह को लेकर कई बार विवाद होते रहे हैं। हालांकि, कानून हर नागरिक को अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार देता है, लेकिन समाज के कुछ तबके अब भी इसे स्वीकार नहीं कर पाते। यह घटना दिखाती है कि आज भी कुछ परिवार अपनी बेटियों की स्वतंत्रता को दबाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
पुलिस की तत्परता और हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से महिला और उसके बेटे को आखिरकार न्याय मिला। अब देखना यह होगा कि महिला अपने माता-पिता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती है या नहीं। इस घटना ने महिला अधिकारों और सामाजिक न्याय पर फिर से बहस छेड़ दी है।