“चॉकलेट चुराने के आरोप में 13 साल की बाल नौकरानी इकरा की मौत, पाकिस्तान में भड़का आक्रोश”

https://webbharatnews.com/pakistan-anger-over-death-of-child-maid-iqra/

“पंजाब प्रांत में गिरफ्तार हुए नियोक्ता, सोशल मीडिया पर #Justiceforlqra की मांग

घटना का संक्षिप्त विवरण

पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में 13 वर्षीय नौकरानी इकरा की मौत ने देशभर में गुस्सा और बहस छेड़ दी है। इकरा पर उसके नियोक्ता द्वारा चॉकलेट चुराने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद उसे इतना प्रताड़ित किया गया कि बुधवार को अस्पताल में उसकी मौत हो गई। पुलिस ने नियोक्ता दंपत्ति समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि सोशल मीडिया पर न्याय की मांग जोर पकड़ रही है।

इकरा की मौत: क्या हुआ था?

  1. आरोप और प्रताड़ना:
    इकरा रावलपिंडी के एक परिवार के यहां दो साल से नौकरानी का काम कर रही थी। पुलिस के मुताबिक, नियोक्ताओं ने उस पर चॉकलेट चुराने का आरोप लगाया और मारपीट की। अस्पताल में भर्ती होने तक उसके शरीर पर कई फ्रैक्चर, सिर में गहरी चोट और जलने के निशान पाए गए।
  2. पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार:
    चोटों की सही वजह जानने के लिए पोस्टमार्टम किया जा रहा है। पुलिस ने बीबीसी को बताया कि इकरा के शरीर पर पुराने जख्मों के निशान भी मिले हैं, जो बताते हैं कि उसे लंबे समय से प्रताड़ित किया जा रहा था।
  3. परिवार की पीड़ा:
    इकरा के पिता सना उल्लाह ने बताया कि उन्हें पुलिस का फोन आने के बाद अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि उनकी बेटी की हालत नाजुक थी। कुछ ही मिनटों में उसने दम तोड़ दिया। सना ने कहा, “मैं अपनी बेटी के लिए न्याय चाहता हूं।”

कौन थी इकरा? गरीबी और बाल श्रम की कहानी

  • 8 साल की उम्र से मजबूरी में काम:
    इकरा ने महज 8 साल की उम्र में घरेलू नौकरानी का काम शुरू किया था। उसके पिता, जो खुद एक किसान हैं, कर्ज में डूबे होने के कारण उसे काम पर भेजने को मजबूर हुए।
  • महज £23 का मासिक वेतन:
    इकरा अपने आखिरी नियोक्ताओं (राशिद शफीक और सना) के यहां हर महीने £23 (लगभग 28 डॉलर) कमाती थी। इस दंपति के अपने 8 बच्चे हैं।

सोशल मीडिया पर आक्रोश: #Justiceforlqra ट्रेंड कर रहा

इकरा की मौत की खबर फैलते ही ट्विटर, फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पाकिस्तानी नागरिकों ने गुस्सा जताया।

  • कार्यकर्ता शहर बानो ने लिखा:
    “कब तक गरीबों की बेटियों को इस तरह मरते देखते रहेंगे? छोटी-सी चीज के लिए एक बच्ची की जान ले ली गई!”
  • एक यूजर का सवाल:
    “क्या सच में चॉकलेट के लिए उसे मार डाला गया? यह तो पूरी व्यवस्था की विफलता है।”

पाकिस्तान में बाल श्रम: चौंकाने वाले आंकड़े

  • यूनिसेफ के अनुसार:
    पाकिस्तान में 33 लाख (3.3 मिलियन) बच्चे बाल श्रम में फंसे हैं।
  • घरेलू नौकरों की स्थिति:
    अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के मुताबिक, देश के 85 लाख घरेलू कामगारों में ज्यादातर महिलाएं और किशोर लड़कियां हैं, जिन्हें न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलती।
  • कानूनी पेंच:
    पंजाब प्रांत में 15 साल से कम उम्र के बच्चों को घरेलू नौकर रखना गैरकानूनी है, लेकिन कानून का पालन नहीं होता।

क्यों नहीं रुक रहा बाल श्रम? मुख्य वजहें

  1. गरीबी और कर्ज:
    इकरा जैसे परिवार आर्थिक मजबूरी में बच्चों को काम पर भेजते हैं।
  2. कानूनी लापरवाही:
    सजा का डर न होने से नियोक्ता बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं।
  3. सामाजिक स्वीकृति:
    समाज में घरेलू नौकरों के प्रति हिंसा को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

पुलिस की कार्रवाई और चुनौतियां

  • गिरफ्तारियां:
    नियोक्ता राशिद शफीक, उनकी पत्नी सना और एक कुरान शिक्षक को हिरासत में लिया गया है। शिक्षक इकरा को अस्पताल छोड़कर भाग गया था।
  • मुकदमे में अड़चनें:
    पाकिस्तानी कानून के तहत, पीड़ित परिवार अदालत में माफीनामा देकर आरोपियों को छुड़ा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादातर मामलों में पैसे के बल पर समझौता हो जाता है।

इकरा अकेली पीड़ित नहीं: 2018 का तैय्यबा केस

2018 में पाकिस्तान के एक जज और उनकी पत्नी ने 10 साल की नौकरानी तैय्यबा को झाड़ू खोने के आरोप में इतना पीटा कि उसके हाथ-पैर जल गए। अदालत ने उन्हें 3 साल की सजा सुनाई, लेकिन बाद में इसे घटाकर 1 साल कर दिया गया। यह मामला दर्शाता है कि संपन्न लोग अक्सर कानून से बच निकलते हैं।

क्या बदलाव की उम्मीद है?

  • सोशल मीडिया का दबाव:
    #Justiceforlqra जैसे अभियान सरकार और न्यायिक व्यवस्था पर कार्रवाई का दबाव बना रहे हैं।
  • यूनिसेफ और एनजीओ की भूमिका:
    संगठन बाल श्रम रोकने और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
  • कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांग:
    कार्यकर्ता चाहते हैं कि बाल श्रम और घरेलू हिंसा के मामलों में तुरंत कार्रवाई हो।

निष्कर्ष: इकरा की मौत सिर्फ एक घटना नहीं, सिस्टम की विफलता है

इकरा की त्रासदी पाकिस्तान में गरीबी, बाल श्रम और घरेलू हिंसा की स्याह तस्वीर पेश करती है। जब तक गरीब परिवारों को आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती और कानून को सख्ती से लागू नहीं किया जाता, तब तक ऐसे मामले रुकने वाले नहीं हैं। इकरा के पिता की तरह हजारों परिवार आज भी न्याय की उम्मीद में हैं।

#Justiceforlqra, बाल नौकरानी, पंजाब प्रांत, यूनिसेफ, पाकिस्तान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *