प्रयागराज महाकुंभ में पाकिस्तानी हिंदुओं की आस्था: 68 श्रद्धालुओं ने लगाई संगम में डुबकी।

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले का आध्यात्मिक उत्साह दुनियाभर के श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच रहा है। इस बार इस पावन समागम में पाकिस्तान से आए 68 हिंदू श्रद्धालुओं की उपस्थिति विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। ये सभी श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर अपने जीवन को “धन्य” करने और भारत-पाकिस्तान के बीच सद्भाव का संदेश फैलाने पहुंचे हैं।

पाकिस्तानी हिंदुओं का ऐतिहासिक आगमन
भारत सरकार द्वारा वीजा प्रदान किए जाने के बाद यह समूह ट्रेन से प्रयागराज पहुंचा। इनमें डॉक्टर, इंजीनियर और बुजुर्ग शामिल हैं, जो पाकिस्तान में रहते हुए भी भारतीय संस्कृति एवं धर्म के प्रति गहरी आस्था रखते हैं। प्रियंका, जो इस समूह का नेतृत्व कर रही हैं, के अनुसार, “हमारे साथ 68 लोगों का दल संगम में डुबकी लगाने और संतों का आशीर्वाद लेने आया है। यह हमारे लिए स्वप्न सच होने जैसा है।”

तीन दिनों का आध्यात्मिक कार्यक्रम
श्रद्धालुओं ने अपने यात्रा कार्यक्रम के बारे में बताया कि वे पहले दिन संगम में पवित्र स्नान करेंगे, फिर संतों के सानिध्य में धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेंगे। तीसरे दिन रायपुर स्थित उनके सद्गुरु के दरबार में मन्नतें मांगने जाएंगे। डॉक्टर मंसाराम, जो पहली बार भारत आए हैं, ने कहा, “महाकुंभ में शामिल होकर मैं अपने जीवन को सार्थक महसूस कर रहा हूं। यहां की व्यवस्था देखकर हमारी सभी आशंकाएं दूर हो गईं।”

वीजा प्रक्रिया और सरकारी सहयोग
भारत सरकार ने इस समूह के 85 लोगों को वीजा दिया था, लेकिन विभिन्न कारणों से केवल 68 ही पहुंच सके। श्रद्धालुओं ने भारतीय प्रशासन के प्रति आभार जताया और कहा कि उन्हें यात्रा में किसी प्रकार की समस्या नहीं हुई। एक बुजुर्ग श्रद्धालु ने बताया, “मैं 10 बार भारत आ चुका हूं, लेकिन महाकुंभ में डुबकी लगाने का सौभाग्य पहली बार मिला है।”

सोशल मीडिया की आशंकाएं vs जमीनी हकीकत
यूट्यूब पर महाकुंभ की भीड़ देखकर कई श्रद्धालु चिंतित थे, लेकिन वास्तविक व्यवस्था ने उन्हें प्रभावित किया। प्रियंका ने कहा, “सुरक्षा बलों की तैनाती और यातायात प्रबंधन शानदार है। हमें हर कदम पर सहायता मिली।” श्रद्धालुओं ने सोशल मीडिया पर फैली नकारात्मक खबरों को गलत बताते हुए कहा कि उन्हें यहां सामान्य और शांतिपूर्ण माहौल मिला।

भारत-पाकिस्तान के बीच भाईचारे का संदेशप्रयागराज महाकुंभ में पाकिस्तानी हिंदु
इस यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता को मजबूत करना भी है। डॉक्टर मंसाराम ने जोर देकर कहा, “हम दोनों देशों के बीच प्रेम का पैगाम लेकर आए हैं।” श्रद्धालुओं ने उम्मीद जताई कि ऐसे आदान-प्रदान से द्विपक्षीय संबंधों में सुधार होगा।

आस्था और एकता की जीत
प्रयागराज महाकुंभ में पाकिस्तानी हिंदुओं की भागीदारी न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्था, बल्कि साझा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह घटना दर्शाती है कि धर्म और सद्भावना की शक्ति राजनीतिक सीमाओं से ऊपर है। जैसे-जैसे ये श्रद्धालु अपने अनुभवों को साझा करेंगे, यह मोहब्बत का सिलसिला और मजबूत होगा।

विस्तृत यात्रा विवरण एवं अनुभव

  1. संगम स्नान: मोक्ष की तलाश
    श्रद्धालुओं ने सर्वप्रथम त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर पापों से मुक्ति की कामना की। उनके अनुसार, गंगा-यमुना के पवित्र जल में स्नान करने से उन्हें “आत्मिक शांति” मिली। एक युवा इंजीनियर ने बताया, “यह अनुभव अवर्णनीय है। मैंने अपने पूर्वजों की भूमि पर आकर स्वयं को पूरा महसूस किया।”
  2. संतों का आशीर्वाद: ज्ञान की रोशनी
    दूसरे दिन, श्रद्धालु विभिन्न आश्रमों में संतों से मिले। उन्होंने भजन-कीर्तन में भाग लिया और धार्मिक प्रवचन सुने। प्रियंका ने कहा, “संतों के उपदेशों ने हमें जीवन का सही मार्ग दिखाया।”
  3. रायपुर दरबार: सद्गुरु के चरणों में श्रद्धा
    अंतिम दिन रायपुर स्थित सद्गुरु दरबार की यात्रा की गई। यहां श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामनाएं रखीं और सामूहिक प्रार्थना की।

व्यवस्थाओं की प्रशंसा
सुरक्षा: पुलिस और एनडीआरएफ की टीमों ने भीड़ प्रबंधन कुशलता से किया।

सफाई: शौचालय और पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था।

यातायात: शटल सेवाओं ने श्रद्धालुओं को क्षेत्रीय दर्शन स्थलों तक पहुंचाने में मदद की।

भविष्य की योजनाएं
श्रद्धालुओं ने अगले कुंभ में फिर आने की इच्छा जताई। उनका कहना है कि वे पाकिस्तान में रहकर भारतीय संस्कृति का प्रचार करेंगे और अधिक लोगों को इस पवित्र यात्रा के लिए प्रेरित करेंगे।

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