मलेशिया की रहने वाली रचेल कौर ने ऑफिस जाने के लिए अनोखा तरीका चुना, हर दिन हवाई जहाज से करती हैं सफर
कुआलालंपुर: मलेशिया में एक महिला ने अपने ऑफिस जाने के लिए एक अनोखा रास्ता चुना है। रचेल कौर नाम की यह महिला हर रोज़ प्लेन से ऑफिस पहुंचती हैं। यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जहां लोग इसे “अमीरों की शान” से लेकर “टाइम मैनेजमेंट की मिसाल” तक बता रहे हैं। आइए जानते हैं क्यों चुनती हैं रचेल यह अनोखा तरीका और क्या है इसके पीछे की कहानी।
कौन हैं रचेल कौर?
रचेल कौर मलेशिया के शहर पेनांग में रहती हैं, लेकिन उनका ऑफिस कुआलालंपुर में है। दोनों शहरों के बीच की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 350 किलोमीटर है, जिसे कार से तय करने में 4-5 घंटे लगते हैं। लेकिन रचेल हवाई जहाज से सिर्फ 1 घंटे में यह सफर पूरा कर लेती हैं। वह एक मैनेजमेंट कंसल्टेंट हैं और अपनी कंपनी के साथ प्रोजेक्ट्स पर काम करती हैं।
क्यों चुना प्लेन को साधन?
रचेल के मुताबिक, उन्होंने यह फैसला समय बचाने के लिए लिया। वह कहती हैं, “अगर मैं कार या बस से जाती, तो रोज़ 8-10 घंटे सफर में बर्बाद होते। प्लेन से मैं सुबह उड़ान लेकर ऑफिस पहुंच जाती हूं और शाम को वापस घर। इससे मुझे परिवार और काम के बीच बैलेंस बनाने में मदद मिलती है।”
कितना खर्च आता है?
मलेशिया में घरेलू उड़ानें काफी सस्ती हैं। एयरएशिया जैसी कंपनियों के टिकट कुआलालंपुर-पेनांग रूट पर करीब 100-150 रिंगिट (1,700-2,500 रुपये) में मिल जाते हैं। रचेल का महीने का खर्च लगभग 3,000-4,500 रिंगिट (50,000-75,000 रुपये) आता है। यह रकम भले ही बड़ी लगे, लेकिन रचेल का कहना है कि समय की बचत और आराम इसे वैल्यू फॉर मनी बनाता है।
सोशल मीडिया पर मिले मिश्रित रिएक्शन
इस खबर पर लोगों ने अलग-अलग राय दी है। कुछ यूजर्स ने लिखा, “यह तो पैसे वालों की स्टाइल है!” जबकि दूसरों ने तारीफ करते हुए कहा, “इससे पता चलता है कि औरतें कैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अपने फैसले ले रही हैं।” कुछ ने पर्यावरण को नुकसान की ओर भी इशारा किया: “हर दिन प्लेन से जाना कार्बन फुटप्रिंट बढ़ाता है।”
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
ट्रैवल एक्सपर्ट डॉ. अहमद फैजल का कहना है, “मलेशिया में छोटी दूरी की उड़ानें आम हैं। हालांकि, यह ट्रेंड पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं। कंपनियों को वर्क फ्रॉम होम जैसे ऑप्शन्स बढ़ाने चाहिए।” वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि रचेल का चॉइस उनकी पर्सनल प्राथमिकताओं को दिखाता है।
कैसे मैनेज करती हैं रूटीन?
रचेल सुबह 5 बजे उठकर 7 बजे की फ्लाइट पकड़ती हैं। ऑफिस के बाद शाम 6 बजे की फ्लाइट से वापस पेनांग लौट जाती हैं। वह कहती हैं, “यह रूटीन थोड़ा मुश्किल है, लेकिन मैं ट्रैवल के दौरान ईमेल्स और मीटिंग्स प्लान कर लेती हूं।” उनकी कंपनी ने भी इस सुविधा को सपोर्ट किया है।
क्या है भविष्य का प्लान?
रचेल का कहना है कि वह इस तरह तब तक कम्यूट करेंगी, जब तक कंपनी पेनांग में ब्रांच नहीं खोल देती। उन्होंने कहा, “मैं अपने परिवार के साथ रहना चाहती हूं, इसलिए यही सही विकल्प है।”
काम और ज़िंदगी का बैलेंस
रचेल कौर की कहानी आधुनिक जीवन की चुनौतियों और समाधानों को दिखाती है। जहां एक तरफ यह तरीका महंगा और पर्यावरण के लिए हानिकारक है, वहीं दूसरी तरफ यह समय बचाने और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने का नया तरीका भी है। शायद भविष्य में कंपनियां ऐसे कर्मचारियों के लिए और लचीले विकल्प ढूंढेंगी।