Roads jammed, Kolhapur student reached to take exam through paragliding.
साहसी छात्र ने पैराग्लाइडिंग से परीक्षा बचाई: समय प्रबंधन की अनोखी मिसाल, पैराग्लाइडिंग के जरिए परीक्षा देने पहुँचा कोल्हापुर का छात्र, बनी प्रेरणादायक कहानी।
कोल्हापुर, महाराष्ट्र: जब मेहनत और जज्बा हो, तो कोई भी बाधा सफलता के रास्ते में नहीं आ सकती। कोल्हापुर के समर्थ महानगड़े ने यह साबित कर दिखाया जब उन्होंने अपनी परीक्षा में पहुँचने के लिए पैराग्लाइडिंग का सहारा लिया।
कैसे शुरू हुई यह अनोखी परीक्षा बचाने की जंग?
समर्थ महानगड़े बीकॉम प्रथम वर्ष के छात्र हैं और पढ़ाई के साथ-साथ गन्ने का जूस बेचकर अपने परिवार की आर्थिक मदद करते हैं। 18 दिसंबर की सुबह वह पंचगनी के पास हैरिसन फॉली में जूस बेच रहे थे, जब अचानक उनके दोस्त का फोन आया—“भाई, परीक्षा शुरू हो रही है! तू कहाँ है?”
समर्थ का हॉल टिकट अपडेट नहीं हुआ था, इसलिए उन्हें परीक्षा की सही तारीख नहीं पता थी। जैसे ही उन्हें यह खबर मिली, उनके होश उड़ गए। परीक्षा छूटने का डर उन्हें परेशान कर रहा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
समय कम, सफर लंबा – क्या था विकल्प?
परीक्षा केंद्र पसारनी गाँव में था, जो समर्थ की लोकेशन से 15 किलोमीटर दूर था। सड़क मार्ग से वहाँ पहुँचने में 30 मिनट लगते, जबकि परीक्षा शुरू होने में केवल 10-15 मिनट बचे थे।
इस कठिन परिस्थिति में समर्थ की नजर आसमान में पैराग्लाइडिंग करते लोगों पर पड़ी। यह देखकर उन्होंने तुरंत स्थानीय पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षक गोविंद येवाले से मदद मांगी और कहा, “भाऊ, मुझे 10 मिनट में परीक्षा केंद्र पहुँचाना है!”
पैराग्लाइडिंग: अनोखा सफर और समय की बचत
गोविंद येवाले पहले तो दंग रह गए, लेकिन समर्थ की दृढ़ इच्छाशक्ति देखकर उन्होंने उनकी मदद करने का फैसला किया। कुछ ही मिनटों में, समर्थ पैराग्लाइडर से बंधे और हवा में उड़ चले।
हवा में उड़ते हुए उन्होंने अपने दोस्त को फोन किया, जिसने उनका हॉल टिकट और परीक्षा का जरूरी सामान परीक्षा केंद्र तक पहुँचा दिया।
सिर्फ 5 मिनट में समर्थ परीक्षा केंद्र के ऊपर पहुँच गए। प्रशिक्षक ने पैराग्लाइडर को सुरक्षित लैंड कराया और समर्थ तेज़ी से परीक्षा हॉल की ओर भागे। ठीक उसी समय प्रश्न पत्र बाँटे जा रहे थे और समर्थ समय रहते अपनी सीट पर बैठ गए!
“पढ़ाई और परिवार, दोनों मेरी जिम्मेदारी हैं”
परीक्षा के बाद समर्थ ने कहा, “मैं सुबह 4 बजे उठकर जूस बेचता हूँ, ताकि परिवार की मदद कर सकूँ। पढ़ाई और काम साथ करना मुश्किल है, लेकिन मैं हार नहीं मानता।”
समर्थ की प्रेरणादायक कहानी बनी मिसाल
इस घटना ने समर्थ को कोल्हापुर के युवाओं के बीच प्रेरणा स्रोत बना दिया है। उनके साहस और निर्णय लेने की क्षमता की सभी ने प्रशंसा की।
पुलिस अधिकारी समीर शेख ने कहा, “पसारनी घाट पर ट्रैफिक जाम आम बात है, लेकिन पैराग्लाइडिंग का यह तरीका अनोखा और साहसी था!”
युवाओं के लिए सीख: इच्छाशक्ति से मिलती है सफलता
समर्थ महानगड़े की कहानी इस बात को सिद्ध करती है कि अगर मेहनत और लगन हो, तो कोई भी मुश्किल आपकी सफलता के रास्ते में नहीं आ सकती। शिक्षा और कर्तव्य के प्रति उनका समर्पण हर छात्र के लिए एक मिसाल है।