भारतीय अर्थव्यवस्था को स्विट्जरलैंड ने जोर का झटका दिया है। स्विट्जरलैंड यूरोपीय संघ का एक छोटा सा देश है लेकिन बात करें इन्वेस्टमेंट की तो भारत में स्विट्जरलैंड से बहुत ही भारी मात्रा में इन्वेस्टमेंट आता है। स्विट्जरलैंड की कई कंपनियों का इन्वेस्टमेंट भारत में है तो वहीं भारत की भी कई कंपनी स्विट्जरलैंड में काम करती है।
स्विट्जरलैंड ने खत्म किया भारत का मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा
स्विट्जरलैंड में हाल में ही भारत का मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा वापस ले लिया है। इसे भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा झटका बताया जा रहा है। आने वाले भविष्य में स्विट्जरलैंड की कंपनियां भारत में भारी निवेश करने वाली थी जो अब नहीं करने वाली है। इसके अलावा भारत की जो भी कंपनियां स्विट्जरलैंड में काम करती हैं उन पर भी पहले के मुकाबले ज्यादा टैक्स लगेगा।
क्या है Nescafe विवाद जिससे स्विट्जरलैंड है नाराज ?
दरअसल इस पूरे विवाद के जड़ में 2023 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिया गया एक फैसला है जो स्विट्जरलैंड की Nescafe
कंपनी के खिलाफ दिया गया है। स्विट्जरलैंड की Nescafe कंपनी भारत को 5% टैक्स के रूप मे देती थी, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद यह बढ़कर 10% हो गया है। इसी बात से नाराज स्विट्जरलैंड ने भारत से मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा वापस ले लिया यह नियम 1 जनवरी 2025 से लागू कर दिया जाएगा।
स्विट्जरलैंड ने कब दिया भारत को मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा ?
भारत और स्विट्जरलैंड के बीच सन् 1994 में Double taxation avoidance agreement (DDTA) समझौता हुआ था। जिसे 2010 में फिर से संशोधित किया गया था। इस समझौते के तहत स्वीटजरलैंड ने भारत को मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा दिया था। जो अब स्वीटजरलैंड ने इसे वापस ले लिया है।
भारत को होगा 100 बिलियन डॉलर का नुकसान !
भारत ने मार्च 2024 में यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन के साथ एक व्यापार समझौता पर हस्ताक्षर किया था। इस समझौते के तहत अगले 15 साल के अंदर ये देश भारत में 100 बिलीयन डॉलर का निवेश करेंगे। मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा छिन जाने से यह कंपनियां भारत में निवेश नहीं करेंगी। साथ ही साथ इस निलंबन से स्विट्जरलैंड में काम करने वाली भारतीय कंपनियों के लिए कर संबंधी चुनौतियां उत्पन्न होंगी, विशेष रूप से वित्तीय सेवाओं, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी जैसे क्षेत्रों में। इन कंपनियों पर जो टैक्स 5% लगता था वह बढ़कर 10% हो जाएगा। इससे भारतीय कंपनियों को भी नुकसान होगा।
भारत सरकार का क्या हैं रुख।
भारत सरकार ने स्विट्जरलैंड के साथ Double Taxation Avoidance Agreement हैं उसमें कुछ बदलाव करना होगा । जिससे दोनों देशों के बीच टैक्स विवाद को खत्म किया जा सके। इस मामले पर विशेषज्ञों का मत है कि भारत को भविष्य में ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है ताकि भारत के साथ व्यापार करने वाले कोई भी देश के साथ इस तरह का विवाद उत्पन्न नहीं होना चाहिए।