वियाटिना-19 दुनिया की सबसे महंगी गाय: 35 करोड़ रुपये में हुई नीलामी।जानें क्यों है इतनी खास?

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गायों को अक्सर दुग्ध उत्पादन और कृषि कार्यों के लिए जाना जाता है, लेकिन कुछ विशेष नस्लें अपनी अनूठी विशेषताओं और अनुवांशिक गुणों के कारण अत्यधिक मूल्यवान होती हैं। हाल ही में ब्राजील में आयोजित एक नीलामी में वियाटिना-19 (Viatina-19) नामक गाय ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए 4 मिलियन डॉलर (लगभग 35 करोड़ रुपये) में बिककर इतिहास रच दिया। यह गाय नेलोर नस्ल (Nelore Breed) की है, जिसे उसकी मजबूती, अनुकूलनशीलता और बेहतर उत्पादन क्षमताओं के लिए जाना जाता है। इस लेख में हम वियाटिना-19 के महत्व, इसकी विशेषताओं और इसके ऐतिहासिक मूल्य की गहराई से जानकारी देंगे।

वियाटिना-19 को इतनी ऊँची कीमत मिलने का मुख्य कारण इसकी शारीरिक बनावट, जेनेटिक विशेषताएँ और इसकी नस्ल में दुर्लभता है। ब्राजील में नेलोर नस्ल की गायें विशेष रूप से मूल्यवान मानी जाती हैं, क्योंकि ये कठोर जलवायु परिस्थितियों में भी जीवित रहने की क्षमता रखती हैं।

इस गाय की कुछ खास विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  1. शारीरिक बनावट:
    • वियाटिना-19 का वजन 1,101 किलोग्राम है, जो सामान्य नेलोर नस्ल की गायों से लगभग दोगुना है।
    • इसकी चमड़ी अधिक लचीली होती है, जिससे यह अधिक गर्मी सहन कर सकती है।
    • इसकी त्वचा चमकदार और सफेद रंग की है, जो इसे अन्य गायों से अलग बनाती है।
    • इसके कंधे पर एक बड़ा और उभरा हुआ कूबड़ है, जो इसे अधिक सहनशक्ति प्रदान करता है।
  2. उत्पत्ति और नस्ल:
    • वियाटिना-19 नेलोर नस्ल की गाय है, जो मुख्य रूप से ब्राजील में पाई जाती है।
    • इस नस्ल की उत्पत्ति भारत के आंध्र प्रदेश के ओंगोल क्षेत्र से हुई है, जहाँ इसे ओंगोल नस्ल के रूप में जाना जाता था।
    • 18वीं और 19वीं शताब्दी में इन गायों को ब्राजील लाया गया और वहाँ यह नेलोर नस्ल के रूप में विकसित हुई।
  3. पुरस्कार और उपलब्धियाँ:
    • वियाटिना-19 ने ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज कराया है।
    • इसे ‘चैंपियंस ऑफ द वर्ल्ड’ प्रतियोगिता में ‘मिस साउथ अमेरिका’ का खिताब मिला।
    • यह कई नीलामियों और पशु प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी है और हमेशा अव्वल रही है।

इतनी महंगी क्यों है यह गाय?

वियाटिना-19 की कीमत इतनी अधिक होने के पीछे कई कारण हैं:

  1. उच्च गुणवत्ता वाले जीन:
    • यह गाय बेहतरीन अनुवांशिक गुणों वाली है, जिससे इसकी प्रजनन क्षमता और मांस उत्पादन क्षमता उत्कृष्ट होती है।
    • इसके जीन से पैदा होने वाली संतति भी उच्च मूल्य की होगी, जिससे किसान और व्यापारी इसे खरीदने के लिए इच्छुक होते हैं।
  2. बेहतर प्रजनन क्षमता:
    • इस नस्ल की गायें सामान्य गायों की तुलना में अधिक संतान उत्पन्न करने में सक्षम होती हैं।
    • इसके प्रजनन से प्राप्त बछड़े भी ऊँची कीमत पर बिकते हैं।
  3. संपत्ति और निवेश:
    • पशुपालन उद्योग में लोग गायों को एक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट के रूप में देखते हैं।
    • वियाटिना-19 जैसी गायों को खरीदकर लोग आगे प्रजनन कराकर मुनाफा कमा सकते हैं।
  4. विशेष लक्षण:
    • इसकी मांस की गुणवत्ता अन्य गायों की तुलना में बेहतर होती है।
    • यह गर्म और ठंडे दोनों ही मौसमों में आसानी से जीवित रह सकती है।

भारत से इसका क्या संबंध है?

नेलोर नस्ल की गायों की जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं। यह नस्ल मूल रूप से भारत के ओंगोल क्षेत्र से आई है और बाद में ब्राजील में विकसित हुई।

भारत में गिर, साहिवाल, ओंगोल, और थारपारकर जैसी गायों की नस्लें बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। यदि भारत में इन नस्लों पर सही अनुसंधान और विकास किया जाए, तो भारतीय किसान भी ऊँचे मूल्य पर गायों की बिक्री कर सकते हैं।

अन्य महंगी गायें

वियाटिना-19 दुनिया की सबसे महंगी गाय तो है ही, लेकिन इससे पहले भी कई गायें ऊँची कीमत पर बिकी हैं:

  1. मिसी (Missy) – 22 करोड़ रुपये
    • 2009 में कनाडा में हुई नीलामी में Missy नामक गाय 1.2 मिलियन डॉलर (लगभग 22 करोड़ रुपये) में बिकी थी।
    • यह एक होल्स्टीन नस्ल की गाय थी, जिसे उसकी दूध देने की क्षमता के कारण खरीदा गया था।
  2. ईस्टसाइड लेविसडेल गोल्ड मिस्सी
    • यह गाय भी लगभग 20 करोड़ रुपये में बिकी थी और इसे दुग्ध उत्पादन के लिए सबसे बेहतरीन गायों में गिना जाता था।

क्या भारत में भी ऐसी महंगी गायें हो सकती हैं?

भारत में भी कई प्रीमियम नस्ल की गायें मौजूद हैं, लेकिन उनकी वैश्विक स्तर पर मार्केटिंग और प्रजनन सुधार की आवश्यकता है। यदि सरकार और किसान मिलकर उच्च नस्ल की गायों पर ध्यान दें, तो भारत भी ग्लोबल डेयरी और पशुपालन बाजार में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।

कुछ उपाय जो भारत में लागू किए जा सकते हैं:

  1. बेहतर प्रजनन तकनीक:
    • जेनेटिक रिसर्च और आधुनिक कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) का उपयोग किया जाए।
  2. वैश्विक बाजार से जुड़ाव:
    • भारतीय नस्ल की गायों को अंतरराष्ट्रीय नीलामियों में भेजा जाए।
  3. ब्रांडिंग और प्रमोशन:
    • गिर और साहिवाल जैसी गायों की ब्रांडिंग की जाए, जिससे उनकी कीमत वैश्विक बाजार में बढ़ सके।

वियाटिना-19 न केवल दुनिया की सबसे महंगी गाय बनी है, बल्कि इसने पशुपालन उद्योग में एक नया मानक स्थापित किया है। इसकी विशेषताएँ, उच्च प्रजनन क्षमता, और जेनेटिक गुणवत्ता इसे इतना मूल्यवान बनाती हैं।

भारत के लिए यह एक प्रेरणा हो सकती है कि यदि सही अनुसंधान और रणनीति अपनाई जाए, तो भारतीय नस्ल की गायें भी वैश्विक बाजार में ऊँचे मूल्य पर बेची जा सकती हैं।

वियाटिना-19 की इस ऐतिहासिक बिक्री ने यह साबित कर दिया कि गायें सिर्फ दूध और कृषि कार्यों के लिए ही नहीं, बल्कि एक कीमती संपत्ति भी हो सकती हैं।

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