UNSC में अस्थाई सदस्य बना पाकिस्तान, भारत क्यों है चिंतित, UNSC में भारत क्यों चाहता है स्थाई सदस्यता ?

UNSC में अस्थाई सदस्य बना पाकिस्तान, भारत क्यों है चिंतित, UNSC में भारत क्यों चाहता है अस्थाई सदस्यता ?

नए वर्ष की शुरुआत में पाकिस्तान के लिए यूएनएससी से बहुत बड़ी खुशखबरी निकाल कर आई है। जिस संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत अपनी स्थाई सीट की मांग लंबे समय से करता आ रहा है आज उसी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के रूप में पाकिस्तान 2 वर्षों के लिए नियुक्त हो चुका है। उसका यह कार्यकाल 1 जनवरी 2025 से दिसंबर 2026 तक रहेगा। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजनीतिक राजदूत मुनीर अकरम ने कहा की पाकिस्तान दुनिया के समक्ष आने वाली चुनौतियां के समाधान करने में रचनात्मक भूमिका निभाएगा।


यूएनएससी में पाकिस्तान की लंबी छलांग
जून के महीने में पाकिस्तान को भारी बहुमत के साथ परिषद के लिए चुना गया था जहां कुल 193 सदस्य वाले महासभा में पाकिस्तान को 182 वोट मिले थे। इस दौरान वह जुलाई 2025 में एक महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भी करेगा। पाकिस्तान और एशियाई देशों के प्रतिनिधि के तौर पर जापान की जगह लगा। बताते चले कि आठवां ऐसा मौका है जब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बना है।


जून 2024 में पाकिस्तान के साथ डेनमार्क, ग्रीस, पनामा और सोमालिया के साथ पांच अन्य देश भी अस्थाई सदस्य के रूप में चुने गए थे। दरअसल सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों में 10 देश होते हैं , अब पाकिस्तान चुने गए पांच देशों के अलावे पिछले साल चुने गए अल्जीरिया, गुयाना, सिएरा, लियोन और स्लोवेनिया के साथ काम करने का मौका मिलेगा। पाकिस्तान को यह सदस्यता तब मिली है, जब दुनिया गंभीर संकटों से घिरा हुआ नजर आ रहा है। वर्तमान में पाकिस्तान और तालिबान के बीच युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई है, वह इस पद का इस्तेमाल कैसा करता है यह देखने वाली बात होगी। भारत भी अब तक आठ बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य रह चुका है।


क्या रहती है और अस्थाई सदस्यों की भूमिका।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की संयुक्त राष्ट्र की कोशिशें में अहम भूमिका निभाते हैं अस्थाई सदस्यों का आतंकवादी से जुड़ी प्रबंध कमेटियों में काफी प्रभाव होता है। वर्तमान समय में गज सीरिया यूक्रेन युद्ध पूरे विश्व में आज की तरह फैल रही है तो वही दुनिया के कई हिस्सों में व्यापक तनाव देखा जा सकता है । पाकिस्तान सहित चुने गए देशों की चुनौती होगी की विश्व में किस तरह से शांति स्थापित की जा सके।


भारत की क्या है चिंता
पाकिस्तान की अस्थाई सदस्य बनने से भारत की चिंताएं बढ़ गई है पाकिस्तान अपने इस पद का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे को उठाकर भारत को घेरने की कोशिश करने में होगी। भारत कश्मीर को अपना अभिन्न अंग मानता है। कश्मीर के कुछ भाग पर पाकिस्तान का अब भी कब्जा है,जिसे भारत पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) कहता है।भारत कश्मीर को किसी भी कीमत पर अपने देश में शामिल करना चाहता है। भारत की ओर से पाकिस्तान को कई बार चेतावनी भी दी जा चुकी है कि वह कश्मीर पर अपने अवैध कब्जे को खाली कर दे।


पाकिस्तान कर सकता है इस पद का दुरुपयोग
पाकिस्तान हर बार इस मंच का उपयोग भारत के खिलाफ करता आया है। एक बार फिर पाकिस्तान को यह मौका मिल चुका है। हर बार की तरह इस बार भी पाकिस्तान भारत विरोधी प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए इस मंच का भरपूर दुरुपयोग कर सकता है। चुने गए सदस्यों की यह जिम्मेवारी होती है कि आतंकवादी संगठनों से जुड़े व्यक्तियों और समूहों को आतंकवादी के रूप में नामित करे और उन व्यक्ति और संगठनों पर प्रतिबंध भी लगाए। पूरी दुनिया में पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री के रूप में जाना जाता है इससे भी यह अनुमान लगाया जाता है कि वह इस पद का दुरुपयोग प्रोपेगेंडा फैलाने और गलत बयानी के लिए कर सकता है।

सुरक्षा परिषद क्या है?
सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ की एक महत्वपूर्ण इकाई है। इसकी स्थापना दूसरी विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1945 में हुई थी इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है। यह संस्था अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए उत्तरदाई होती है। इसके पांच स्थाई देश अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस रूस और चीन है, जिनके पास वीटो का अधिकार होता है। इस संगठन में 10 अस्थाई सदस्यों की भी संख्या होती है, जो समय-समय पर बदलते रहते हैं। इन सदस्य देशों का चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा क्षेत्रीय आधार के अनुसार दो वर्षो की अवधि के लिए होती है। इन सदस्य देशों को वीटो का अधिकार प्राप्त नहीं होता।


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की प्रक्रिया
उन एक में किसी नए देश को शामिल होने के लिए UN चार्टर मैं कुछ संशोधन करने होंगे साथ ही साथ संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों में से दो तिहाई का समर्थन होना जरूरी है। स्थाई सदस्यता पाने वाली देश को सुरक्षा परिषद में शामिल पांचो देश की सहमति होना आवश्यक है । कोई भी एक देश असहमत हुआ तो प्रस्ताव खारिज हो जाएगा। भारत भी इन्हीं वीटो प्राप्त अस्थाई देशों में शामिल होने के लिए लंबे समय से प्रयासरत है, परंतु अभी तक हमे सफलता प्राप्त नहीं हुई है।


भारत को स्थाई सदस्यता मिल जाए तो क्या होगा लाभ ?
भारत अगर सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यों के रूप में आ जाता है तो सबसे महत्वपूर्ण भारत को वीटो शक्ति मिल जाएगी। वीटो शक्ति वह शक्ति है जिसमें कोई भी वीटो प्राप्त देश किसी प्रस्ताव से सहमत नहीं है तो अपने वीटो शक्ति का उपयोग करते हुए UNSC में लाए गए प्रस्ताव को खारिज कर सकता है। भारत को दुनिया भर के ज्यादातर देश भारत को यूएनएससी में अस्थाई सदस्यता के समर्थन में दिखाई देते हैं ।वही स्थाई देश की बात करें तो ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, और रूस भारत के समर्थन में नजर आते हैं। परंतु भारत का पड़ोसी देश चीन नहीं चाहता कि भारत को यूएनएससी में एंट्री मिले। चीन अलग-अलग बहनों से भारत की स्थाई सदस्यता का विरोध जताते रहता है। अलग-अलग देशों द्वारा सुरक्षा परिषद में विस्तार की मांग लंबे समय से उठते आ रही है।


क्यों होना चाहिए UNSC देश का विस्तार।
यूएनएससी देशों के विस्तार से विकासशील देशों की प्रतिनिधित्व कमजोर होगी। साथ ही विश्व में उभरती जटिलताओं और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के समक्ष आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए स्थाई और अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ानी होगी। अधिक देशों की भागीदारी से UNSC अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निर्वाह कर पाएगा।

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