क्यों बेहद दुर्लभ है यह महाकुंभ, क्या है 144 वर्षों का रहस्य ? कहीं चूक न जाए आप !

(Why is this Maha Kumbh so rare, what is the secret of 144 years? Don’t miss it)

13 जनवरी 2025 को भव्य और दिव्या कुंभ की शुरुआत होचुकी है। सुबह-सुबह लगभग 60 लाख लोगों से ज्यादा लोगों ने प्रयागराज में आस्था के संगम में डुबकी लगा चुके हैं। यह कुंभ मेला 45 दिनों तक चलेगा चलने वाला है। उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक इस मेले में लगभग 40 करोड़ हिंदू प्रयागराज पहुंचने वाले हैं। उत्तर प्रदेश प्रशासन की ओर से तमाम सुविधा की गई है जिससे यात्रियों को स्नान करने और ठहरने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो सके।
महाकुंभ एक ऐसा पर्व है जो पूरी दुनिया को शांति का संदेश देता है। विश्व के कल्याण की भावना को लेकर संत समाज धर्म ध्वजा फहराते हैं। 2025 के महाकुंभ में दुनिया भर के कोने कोने से आए संत अपने दिव्य दर्शन दे रहे हैं। अलग-अलग अखाड़े से आए साधु संत ईश्वर की उपस्थिति को सिद्ध करते हुए, भजन आदि कार्यों में लगे रहते हैं।

इस पूर्ण महाकुंभ पर क्या है संतों की राय (Why is this Maha Kumbh so rare, what is the secret of 144 years? )
स्वामी कैलसानंद गिरी जी महाराज के अनुसार ” प्रयाग कुंभ की तीन प्रमुख परंपरा रही है। पहला तो प्रयागराज में 6 वर्षों में अर्ध कुंभ होता है। दूसरा प्रत्येक 12 वर्षों के पश्चात प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है। और तीसरी परंपरा के अनुसार प्रयागराज में लगने वाली 12 महाकुंभों का 12 बार आवृत्ति होने के बाद जो महाकुंभ आता है, उसे ही पुर्ण महाकुंभ कहा जाता है। 2025 का पुर्ण महाकुंभ 144 वर्षों के बाद आ रहा है। यह महाकुंभ बेहद दुर्लभ है। क्योंकि हमारी पिछली दो या दो से अधिक पीढ़ियों को इस प्रकार के पूर्ण महाकुंभ में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाया है। 2025 के महाकुंभ की विशेषता इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि ऐसा दुर्लभ संयोग फिर से 144 वर्षों के पश्चात सन् 2169 ईस्वी में दुबारा आएगा।


क्यों है पूर्ण महाकुंभ का महत्व। (Why is this Maha Kumbh so rare, what is the secret of 144 years?)
पूर्ण महाकुंभ में स्नान करने के लिए गुप्त साधना करने वाले साधु संत जो अनंत काल से साधना में लिप्त है, वह भी स्नान करने के लिए प्रयागराज में जरूर पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि वैसे दिव्य साधु संत जो अपने शरीर के माध्यम से उपस्थित नहीं होते हैं, वह सूक्ष्म रूप में भी प्रयागराज जाकर स्नान करते हैं। कुंभ में उपस्थित संतों का यह भी मानना है कि हिमालय में हजारों हजार वर्षों से तप कर रहे संत भी इस प्रकार के पूर्ण महाकुंभ में सही स्नान का साक्षी बनते हैं । प्रयागराज महाकुंभ इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि यहां पर गंगा यमुना और सरस्वती का त्रिवेणी संगम भी स्थित है। यह संगम किसी और तीर्थ पर नहीं पाए जाते।

हो रहा रवि योग का शुभ निर्माण (Why is this Maha Kumbh so rare, what is the secret of 144 years?)

2025 का हम महाकुंभ इसलिए भी खास है क्योंकि इस महाकुंभ एक अद्भुत संयोग बना रहा है। जिसका संबंध समुद्र मंथन से माना जा रहा है। जिस दौरान देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत के लिए संघर्ष हुआ था। इस दिन सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की शुभ स्थिति भी बन रही है जो समुद्र मंथन के दौरान बनी थी। साथ ही इस बार महाकुंभ पर रवि योग का शुभ निर्माण भी होने जा रहा है। यह रवि योग 13 जनवरी को सुबह 7:15 से 10:38 तक रहेगा।


पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के बाद दैत्य और देवताओं के बीच हुए युद्ध में चार स्थानों पर अमृत कुंभ से अमृत की बूंदे गिरी थी और इन्हीं चार स्थानों पर प्रत्येक 12 वर्षों के बाद महाकुंभ लगता है। यह चार स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक है। प्रयागराज में 12 वर्षों बाद महाकुंभों की जब 12 बार आवृत्ति होती है, तब जाकर पूर्ण महाकुंभ लगता है। 2025 का यह महाकुंभ एक पूर्ण महाकुंभ है।

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