उत्तराखंड में एवलांच त्रासदी: चमत्कारिक रूप से बचाए गए 46 श्रमिक, धातु कंटेनरों ने बचाए दर्जनों जान।

धातु कंटेनरों ने बचाए दर्जनों जान।

जोशीमठ (उत्तराखंड): भारत के उत्तराखंड राज्य में हिमालय की वादियों में शुक्रवार को आए भीषण हिमस्खलन के बाद चमत्कारिक बचाव की कहानी सामने आई है। माणा गांव के पास एक निर्माण स्थल पर हिमस्खलन से दबे 54 श्रमिकों में से 46 को धातु के कंटेनरों से जीवित निकाला गया, जबकि आठ की मौत हो गई। शून्य से नीचे के तापमान में लगभग 60 घंटे तक चले जोखिम भरे बचाव अभियान में भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने हेलीकॉप्टर व ड्रोन की मदद से श्रमिकों को सुरक्षित निकाला।

ऑक्सीजन और मजबूत संरचना ने बचाई जान

घटना स्थल पर मौजूद बचाव अधिकारियों के अनुसार, निर्माण श्रमिकों के रहने के लिए इस्तेमाल किए गए धातु के कंटेनर ही उनकी जान बचाने का सबसे बड़ा सहारा बने। इन कंटेनरों में पर्याप्त ऑक्सीजन मौजूद होने के कारण श्रमिक दो दिन तक जीवित रह सके। एक वरिष्ठ बचाव अधिकारी ने बताया, “हिमस्खलन का वेग इतना तेज था कि आठ कंटेनर और एक शेड पहाड़ से नीचे नदी के किनारे तक जा गिरे। लेकिन धातु की मजबूत संरचना ने श्रमिकों को सुरक्षित रखा।”

सर्दी में सोते समय आई तबाही

घटना उस समय हुई जब अधिकांश श्रमिक रात में सो रहे थे। सेना द्वारा जारी वीडियो में बचाए गए श्रमिक सत्यप्रकाश यादव (उत्तर प्रदेश) ने बताया, “हिमस्खलन ने हमारे कंटेनर को भूस्खलन की तरह धकेल दिया। हम बर्फ के साथ नदी के पास जा गिरे। किसी तरह निकलकर सेना के गेस्ट हाउस पहुंचे।” वहीं, पिथौरागढ़ के रजनीश कुमार ने कहा, “कंटेनर 50-60 मीटर नीचे खिसक गया। सेना ने तुरंत बचाव शुरू किया।”

तीन दिन तक चली मुश्किलों भरी ऑपरेशन

बचाव दलों ने बर्फबारी और अंधेरे के बावजूद लगातार काम किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टीमों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “यह अभियान मानवीय संकल्प की मिसाल है।” बचाए गए श्रमिकों को जोशीमठ और ऋषिकेश के अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा गया, जहां कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।

क्यों बार-बार हो रही हैं ऐसी घटनाएं?

माणा गांव के पूर्व ग्राम प्रधान गौरव कुंवर ने बीबीसी को बताया, “यह इलाका सर्दियों में खाली रहता है। सिर्फ सीमा सड़क संगठन (BRO) के श्रमिक यहां काम करते हैं।” उन्होंने बताया कि हिमस्खलन से दो दिन पहले हुई बारिश ने बर्फ को अस्थिर किया होगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि हिमालय में जलवायु परिवर्तन के कारण हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश ने बताया, “ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जबकि अंधाधुंध निर्माण और वनों की कटाई से पहाड़ कमजोर हो रहे हैं।” उन्होंने 2021 की उस घटना का जिक्र किया, जब नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने से चमोली में बाढ़ आई थी और 100 लोग मारे गए थे।

मौसम विभाग का अलर्ट जारी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में मंगलवार तक भारी बारिश और बर्फबारी की चेतावनी जारी की है। इससे इन इलाकों में और हिमस्खलन का खतरा बना हुआ है।

सुरक्षा उपायों पर सवाल

इस घटना ने पहाड़ी इलाकों में निर्माण गतिविधियों के दौरान सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, इस बार कंटेनरों ने जान बचाई, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए आपातकालीन तैयारियों को और मजबूत करने की जरूरत है। सेना और राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने का भी ऐलान किया है।

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