बक्सर के युवाओं ने नाव से तय किया 550 किमी का सफर, महाकुंभ पहुंचने का अनोखा तरीका हुआ वायरल

बक्सर के युवाओं ने नाव से तय किया 550 किमी का सफर, महाकुंभ पहुंचने का अनोखा तरीका हुआ वायरल


गंगा नदी पर नाव से प्रयागराज तक की यात्रा में बिहार के युवाओं ने दिखाई जुनूनी हिम्मत, सोशल मीडिया पर छाई तस्वीरें

बक्सर/प्रयागराज: आस्था के महापर्व महाकुंभ में शामिल होने के लिए बिहार के बक्सर जिले के युवाओं ने एक अनूठा कारनामा कर दिखाया है। जब सड़कों पर भीषण जाम और ट्रेनों में भीड़ ने श्रद्धालुओं की परेशानी बढ़ा दी, तो कम्हरिया गांव के युवाओं ने नाव के सहारे गंगा नदी पर बक्सर से प्रयागराज तक का 550 किलोमीटर लंबा सफर तय किया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें इन युवाओं की जज्बे और सूझ-बूझ की दुनिया कायल है।

क्यों मजबूरी बनी यात्रा की प्रेरणा?

8 और 9 फरवरी को प्रयागराज पहुंचने वाले सभी रास्ते भीषण जाम का शिकार थे। ट्रेनों के सभी डिब्बे ओवरबुक्ड थे, तो वहीं सड़कें महजाम की वजह से अटकी हुई थीं। ऐसे में बक्सर के युवाओं ने गंगा नदी के जलमार्ग को अपना रास्ता चुना। उन्होंने एक नाव पर दो मोटर इंजन लगाए, राशन-पानी का इंतजाम किया और ठंड से बचने के लिए कंबल साथ लेकर यह साहसिक यात्रा शुरू की।

कैसे तैयार हुई नाव? युवाओं ने बताई पूरी प्लानिंग

इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे युवाओं ने बताया कि उन्होंने नाव को दोहरे इंजन से लैस किया था, ताकि एक इंजन फेल होने पर दूसरा काम कर सके। साथ ही, उन्होंने गैस सिलेंडर, खाली बर्तन, कंबल और पर्याप्त राशन भी साथ रखा। युवाओं का कहना था, “हमने सोचा कि अगर रास्ते में मोटर खराब हो गई तो हाथ से नाव चलानी पड़ेगी। इसलिए हमने पहले से ही ठंडे दिमाग से प्लान बनाया था।”

यात्रा के दौरान क्या-क्या चुनौतियां आईं?

  • मोटर का बार-बार गर्म होना: नाव पर लगे मोटर इंजन बार-बार गर्म हो जाते थे, जिसके कारण युवाओं को 5-6 किलोमीटर तक हाथ से नाव खेनी पड़ी।
  • ठंड और थकान: रात में गंगा का पानी और ठंडी हवाएं यात्रा को मुश्किल बना रही थीं। युवाओं ने बारी-बारी से नाव चलाकर इस समस्या का सामना किया।
  • रास्ते में सामान की खरीदारी: यात्रा के दौरान जमानिया में उन्होंने कुछ जरूरी सामान खरीदा, जिसके बाद फिर से नाव पर सफर जारी रखा।

“दिन-रात एक कर दिए, सपनों की नगरी पहुंचे”

युवाओं ने बताया कि वे लगातार दिन-रात नाव चलाते रहे। “हमारा एक ही लक्ष्य था – महाकुंभ के पावन मेले में पहुंचना। गंगा मैया ने हमारा साथ दिया और हम 3 दिन में प्रयागराज पहुंच गए,” एक युवा ने खुशी जाहिर की।

सोशल मीडिया पर क्या है रिएक्शन?

इस वीडियो को लाखों व्यूज मिल चुके हैं। कुछ यूजर्स ने इसे “जुनून और जज़्बे की मिसाल” बताया, तो कुछ ने चेतावनी दी कि “यह तरीका खतरनाक हो सकता है, आम लोगों को ऐसी यात्रा नहीं करनी चाहिए।” वहीं, स्थानीय लोगों ने इन युवाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि “यह सच्ची आस्था और बिहारी दिमाग की चतुराई का उदाहरण है।”

क्या यह तरीका सुरक्षित है? युवाओं ने दी सलाह

यात्रा में शामिल युवाओं ने स्पष्ट किया कि यह सफर हर किसी के बस की बात नहीं है। “जिन्हें नाव चलाने का अच्छा अनुभव है, केवल वे ही ऐसी यात्रा करें। गंगा का रास्ता आसान नहीं है, कई जगह पानी की धाराएं तेज हैं,” उन्होंने कहा।

महाकुंभ की भीड़ और यातायात संकट

इस साल प्रयागराज में लगे महाकुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालु पहुंचे हैं। सरकार ने भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए थे, लेकिन 8-9 फरवरी को यूपी-बिहार बॉर्डर पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। ऐसे में बक्सर के युवाओं का यह निर्णय न सिर्फ समय बचाने वाला, बल्कि एक रोमांचक अनुभव भी साबित हुआ।

निष्कर्ष: साहस और सूझ-बूझ की मिसाल

बक्सर के इन युवाओं की कहानी ने साबित किया कि इंसान अगर ठान ले तो मुश्किलें भी रास्ता दे देती हैं। महाकुंभ जैसे पावन अवसर पर उनकी यह यात्रा आस्था और विज्ञान का अनूठा संगम बन गई। अब यह वीडियो न केवल सोशल मीडिया पर, बल्कि स्थानीय समुदायों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

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