चीन की मनमानी पर भारत का प्रहार। (India Vietnam Defence Deal)
विश्व की आर्थिक महाशक्ति की बात करें तो चीन, अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर आता है। आजादी के बाद चीन ने अपने देश में उद्योग एवं व्यवसायको इतनी तेजी से बढ़ाया कि आज उसके बनाए गए उत्पाद दुनिया के अधिकतर देशों में बेचे जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन की धमक को नकारा नहीं जा सकता। आज विश्व की अधिकतर देश चीनी उत्पादों से भरे पड़े हैं। आज इसी का नतीजा है कि चीन बड़ी आर्थिक महाशक्ति की ओर बढ़ रहा है।
चीन को वर्ल्ड लीडर बनने की चाह । (India Vietnam Defence Deal)
चीन की वर्ल्ड लीडर बनने कि महत्वाकांक्षा किसी से छुपी नहीं है। इसी महत्वाकांक्षा के कारण चीन अपने सैन्य शक्ति को लगातार बढ़ने में लगा है। चीन से सटे पूरे दक्षिणी चीन सागर पर पूरी तरह से नियंत्रित रखता है। चीन की विस्तार वादी सोच कई देशों के अस्तित्व को चुनौती देने लगा है। चीन की विस्तारवादी नीति का ही परिणाम है कि आज से 50 दशक पूर्व तिब्बत एक स्वतंत्र देश हुआ करता था, जो आज चीन की विस्तारवादी नीति की भेंट चढ़ चुका है। आज चीन के जितने भी पड़ोसी देश हैं लगभग सभी देशों से चीन से लगे हुए बॉर्डर पर विवाद की स्थिति बनी हुई है। आए दिन चीनी सैनिक छोटे बड़े देशों पर मनमानी करते हुए पाए जाते हैं। भारत के गलवान में चीनी सैनिकों से हुई झड़प चीन की मनमानी का सबसे बड़ा उदाहरण है। आज हम बात करेंगे एक छोटा देश वियतनाम की जो चीन की मनमानी से परेशान है।
जाबांज देश वियतनाम। (India Vietnam Defence Deal)
दक्षिणी चीन सागर में चीन की दक्षिणी सीमा से लगा एक छोटा देश है वियतनाम। इस देश का चीन से लंबे समय से सीमा विवाद रहा है। सन 1779 में चीन ने वियतनाम पर कब्जा करने की मकसद से आक्रमण किया। परंतु वियतनाम के जांबाज सैनिकों ने चीनी सरकार के 20000 सैनिकों को मार कर धूल चटा दिया। इस युद्ध में चीन की शर्मनाक हार हुई। आज भी चीन का इस देश से सीमा विवाद है जो आए दिन टकराव की वजह बनता है। दोनों देशों की नौसेना आपस में टकराती हैं। दोनों देशों के कई ऐसी द्वीप है जिनको लेकर दोनों देशों में तनाव बना रहता है। वर्तमान समय में दोनों देश एक दूसरे के कट्टर दुश्मन माने जाते है।
भारत देगा वियतनाम को ब्रम्होश मिसाइल। (India Vietnam Defence Deal)
दरअसल भारत और चीन का भी सीमा विवाद का लंबा इतिहास रहा है। कमोवेस यही स्थिति वियतनाम और चीन की भी है। दक्षिणी चीन सागर में मजबूत स्थिति बनाए रखने के लिए वियतनाम ने भारत के साथ कई योद्धाभ्यास भी किए हैं। साथ ही साथ वियतनाम भारत के कई हथियार खरीदने की इच्छा जाहिर कर चुका है। इसी क्षेत्र में भारत के साथ वियतनाम का ऐतिहासिक और सबसे बड़ा हथियार समझौता हो चुका है। मिली जानकारी के तहत 700 मिलियन डॉलर खर्च करके वियतनाम भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीद रहा है । रिपोर्ट बताती है की सारी नेगोशिएशन फाइनल हो चुकी है । अब बस दोनों देशों के जो प्रतिनिधि है, इस पर हस्ताक्षर करेंगे और उसके बाद भारत वियतनाम के सेना के लिए के लिए ब्रह्मोस मिसाइल मैन्युफैक्चर करना शुरू कर देगा और इसकी डिलीवरी भी जल्द कर दी जाएगी। इसी के साथ दक्षिणी चीन सागर का दूसरा देश बनेगा वियतनाम जिसके पास ब्रह्मोस मिसाइल होगी। इससे पहले फिलिपींस भारत से ब्रह्मोस खरीद कर चीन के खिलाफ तैनात कर चुका है।
चीन की 90% आबादी को ब्रह्मोस से खतरा। (India Vietnam Defence Deal)
भारत और वियतनाम की यह हथियार दिल इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि यह पहली बार होगा कि भारत की कोई मिसाइल चीन की बड़ी आबादी के दरवाजे पर तैनात होगी। गौरतलब हो की चीन की 90% आबादी चीन की पूर्वी भाग जो दक्षिण चीन सागर का इलाका है, वहां पर बसा हुआ है। वियतनाम चीन के ठीक दक्षिणी सीमा से सटा हुआ देश है। यही कारण है कि यह डील चर्चा में बना हुआ है। इस डील को भारत का एक मास्टर स्टॉक बताया जा रहा है।
एक और जहां भारत चीन के साथ बैठकर सीमा विवाद सुलझा रहा है, वहीं दूसरी ओर चीन पर नकेल कसने के लिए उसके दुश्मनों को लगातार मजबूत कर रहे हैं। वियतनाम जिसे एक जांबाज देश कहा जाता है, उसके हथियार की कमी को पूरा कर रहा हैं। भारत दुनिया की सबसे बेहतरीन मिसाइल देकर वियतनाम की ताकत और चीन का सर दर्द बढ़ा रहा है।