मनमोहन सिंह की पांच बड़ी कामयाबियां, जिसको देश हमेशा याद रखेगा !

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जब भी उनकी सफलता के बारे में पूछा जाता था तो वह अक्सर कहते थे कि ” मैं जो कुछ भी हूं अपनी पढ़ाई लिखाई के वजह से हूं “। मनमोहन सिंह को देश के सबसे पढ़े-लिखे प्रधानमंत्री में से एक माना जाता है। 2004 की लोकसभा में जीतने के बाद मनमोहन सिंह भारत की 13 में प्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपने स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री पंजाब विश्वविद्यालय से पूरी की। स्कॉलरशिप मिलने के बाद कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच. डी. तथा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. किया। बहुत कम लोग जानते हैं कि मनमोहन सिंह अर्थशास्त्र के शिक्षक के तौर पर काफी विख्यात भी हुए।


पहली कामयाबी 1991 की आर्थिक सुधार नीति।
1990 के दशक की शुरुआत में भारत की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई थी। दुनिया में भी खाड़ी युद्ध के चलते पेट्रोलियम क्राइसिस हो गया था। भारत के पास पैसा नहीं बचा था काम चलाने लायक भी नहीं। उस वक्त नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया। इकोनॉमी में सुधार के लिए मनमोहन सिंह के पास जब मंत्री बनने की खबर आई, तो उन्हें मजाक लगा। अगली सुबह डांट पड़ी तो समझ आया कि मामला थोड़ा सीरियस है। इंटरनेशनल मोनेटरी फंड ( IMF) इस सुधार पर नजर बनाए हुए था। पूरे देश में ऐसा माहौल बना कि, लोग कहने लगे थे कि यह नेता देश को बेच देंगे। ऐसे में नए नियम लाने में भी डर भी था। नरसिम्हा राव का साफ कहना था कि अगर यह सुधार सफल हो गए तो, सरकार को क्रेडिट मिलेगा। अगर नहीं हुई तो सिर्फ मनमोहन सिंह की जिम्मेदारी होगी। सुधार सफल साबित हुए, देश सही रास्ते पर चल पड़ा।


दूसरी बड़ी कामयाबी RTI एक्ट 2005
साल 2005 में भारत में दो ऐसे एक्ट बने हैं जो जनता को सबसे ज्यादा अधिकार देते हैं। पहला कंज्यूमर एक्ट और दूसरा आरटीआई एक्ट। यह दोनों एक्ट मनमोहन सिंह के सत्ता में आते ही यह पास हो गया। इसके लिए देश के लोग लंबे समय से लड़ रहे थे। इस एक्ट के चलते जनता अफसर से जवाब तलब कर सकती है, इससे पहले अफसर हर रिपोर्ट को कॉन्फिडेंशियल कहकर किसी को बताते ही नहीं थे। इसके चलते हर तरफ भ्रष्टाचार बहुत होता था। आगे आने वाले समय में इसी एक्ट के चलते मनमोहन सरकार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग गए।


तीसरी बड़ी कामयाबी मनरेगा 2006
यह एक ऐसा कानून आया जिसने सरकार और जनता के रिश्ते को बदल दिया। इस एक्ट की तहत यह तय हो जाता था की सरकार लोगों को अपने गांव के पास रोजगार दिलाए। यह अपने आप में बहुत बड़ा कदम था । यह एक तरह से सरकार की तरफ से रोजगार की गारंटी थी। यह प्रोग्राम पूरे परिवार को टारगेट करता था। मजदूरों के खाते में रकम आने ही आनी थी। रोजगार न दिलाने पर अफसर पर कार्य कार्यवाही का प्रावधान था। सरकारी जिम्मेदारियां की यह नई पहेल थी। हालांकि बाद में इसमें भी भ्रष्टाचार की आरोप लगे। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने इस स्कीम प्रोग्राम की आलोचना करते हुए कहा था कि “इस नीति को मनमोहन सरकार की सबसे बड़ी असफलताओं के रूप में याद किया जाएगा”। लेकिन उन्होंने भी इस एक्ट को खत्म नहीं किया।


चौथी बड़ी कामयाबी सिविल न्यूक्लियर डील साल 2008

भारत की प्रगति के साथ ही ऊर्जा ज़रूरतें काफी बढ़ गई थी। हर गांव तक बिजली पहुंचाने के लिए बिजली पैदा करना भी जरूरी था। इसके लिए न्यूक्लियर प्लांट लगाना सबसे आसान तरीका था।पर इसके साथ ही जिम्मेदारी और खतरा भी बढ़ जाता है, इसके लिए अमेरिका की कंपनियों के साथ समझौता हुआ परंतु उसे वक्त देश में माहौल ऐसा बना की मनमोहन सिंह सरकार अमेरिका के हाथ फिर कुछ बेचना चाहती है। इसी मुद्दे पर कुछ कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों ने कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस ले लिया। परंतु बिना किसी डर के मनमोहन सिंह ने इस ऐतिहासिक डील को पूरा किया और सरकार भी बचा लिया। मनमोहन सरकार के लिए यह एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर बहुत बड़ी डिप्लोमेटिक जीत थी।


पांचवी बड़ी कामयाबी फूड सिक्योरिटी बिल 2013
स्वतंत्रता से बाद से देश में बहुत बड़ा अकाल पड़ा था जिसके वजह से लगभग 30 लाख लोग मारे गए थे इसके बाद चीन के साथ लड़ाई फिर पाकिस्तान के साथ भी जंग हुई। उस समय भारत की एक बड़ी आबादी को दो समय का भोजन मिल पाना एक चुनौती जैसा था। हालांकि हरित क्रांति के वजह से हालत पहले से बेहतर तो हुए, परंतु गुजरते वक्त के बाद भी देश के बहुत सारे लोग भर पेट खाना नहीं खा पाते थे। ऐसे में मनमोहन सिंह सरकार का लोगों का खाना सुरक्षित करवाना दुनिया की किसी भी सरकार के लिए मॉडल बन गया। फिर भी दूसरी तरफ इसकी आलोचना भी हुई कि सरकार लोगों पर बर्बाद कर रही है। लोगों तक अनाज पहुंच भी नहीं रहा है। किसी भी आलोचना से परे सरकार की जिम्मेदारियां का मनमोहन सिंह को बखूबी एहसास था। आज भी इस योजना का लाभ करोड़ परिवारों को मिल रहा है।


मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के तौर पर हमेशा से एक कमजोर प्रधानमंत्री के रूप में जाना बताया जाता है परंतु मनमोहन सिंह के द्वारा लिए गए फैसले को भारत के सकारात्मक दूरगामी प्रभाव के लिए हमेशा जाने जाएंगे। आज पूरा देश मनमोहन सिंह को उनके किए गए कार्यों को याद करते हुए सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *