Tour Chhinnamastika Temple : प्रकृति की गोद में बसा अद्भुत धाम माँ छिन्नमस्तिका, सिर्फ धार्मिक ही नहीं एक बेहतरीन पिकनिक स्थल भी !

Tour Chhinnamastika Temple : माँ छिन्नमस्तिका धाम

वैसे तो भारत में कई खूबसूरत पर्यटन स्थल है परंतु झारखंड की खूबसूरती सैलानियों को काफी आकर्षित करती है। आज हम लोग झारखंड के एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल छिन्नमस्तिका मंदिर के बारे में जानेंगे। मां छिन्नमस्तिका का मंदिर झारखंड के रांची शहर से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित रामगढ़ जिले के रजरप्पा में स्थित है। यह मंदिर रजरप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।


प्राचीन शक्तिपीठ मां छिन्नमस्तिका का मंदिर


मां छिन्नमस्तिका मंदिर दुनिया का प्राचीनतम शक्तिपीठों में गिना जाता है । यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना है। कई विशेषज्ञ इस मंदिर को महाभारत कालीन मंदिर भी मानते हैं। पौराणिक धर्म ग्रंथो के अनुसार कुल 10 महाविद्या है, उनमें से मां छिन्नमस्तिका भी एक महाविद्या के रूप में पूजी जाती है। इन्हीं प्रचंडिके के रूप में भी जाना जाता है।


गर्भगृह में स्थित मूर्ति
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मंदिर के गर्भ गृह में मां छिन्नमस्तिका कि पत्थर की एक प्राचीन मूर्ति है। उनके दाएं हाथ में तलवार तथा बाएं हाथ में अपना हीं कटा हुआ सिर है। माता की मूर्ति की दोनो ओर देवी जया और विजया है। माता का सर कटा हुआ है और उसमें से तीन रक्त की धाराएं बहती हैं जिम एक धारा माता के स्वयं अपने मुख में जाती है। दूसरी धारा डाकिनी के मुख में और तीसरी धारा योगिनी के मुख में जाती है। माता के पैर के नीचे कामदेव और रति की मूर्ति है।


मां छिन्नमस्तिका ने क्यों किया अपने शीश को धड़ से अलग?


मां छिन्नमस्तिका का अर्थ है बिना सिर वाली देवी । एक बार की बात है माता भवानी मंदाकिनी नदी में अपनी दो सहेलियां जया और विजया के साथ स्नान को गई थी। इसी बीच देवी जया और विजया को जोर की भूख लगी और उन्होंने माता से भोजन देने का आग्रह किया । माता ने उन्हें इंतजार करने को कहा परंतु भूख के मारे उन दोनों का शरीर काला पड़ने लगा । इसको देखते हुए देवी ने अपने अपने ही तलवार से अपना सर काट दिया और उनके गले से तीन रक्त की धाराएं निकल पड़ी । दो धाराएं जया और विजया के मुख में और तीसरी धारा स्वयं अपने मुख में आ गिरी इस प्रकार मां छिन्नमस्तिका को पालनहार देवी के रूप मे पुजा जाता है ।

रजरप्पा में और किस किस देवी देवताओं का मंदिर है ?

मां काली, सूर्य भगवान, भगवान भोलेनाथरजरप्पा आने वाले भक्त न सिर्फ मां छिन्नमस्तिका का के दर्शन कर पाते हैं बल्कि यहां पर मां काली, भगवान सूर्य , भगवान शिव और भगवान विष्णु के साथ साथ अन्य मंदिर भी है। जिससे यहां आने वाले भक्त अपने इष्ट देव की पूजा भी कर सकते हैं।

रजरप्पा एक पिकनिक स्थल

  1. भैरवी नदी और दामोदर नदी का मिलन स्थल।
    झारखंड की प्रमुख नदी दामोदर नदी और भैरवी नदी का मिलन भी इस जगह पर होता है। घाटियों से कलकल करती हुई भैरवी नदी की अनेक धाराएं चट्टानों से होकर नीचे आती है । अलग-अलग चट्टानों से बहती हुई नदी का पानी सफेद रंग का नजर आता है। पर्यटक यहां खूब मस्ती करते हैं। पूरा परिवार चाहे वह बच्चे हो, बूढ़े हो या युवा सभी यहां खूब इंजॉय करते हैं।
  2. पहाड़ों के बीच हरियाली से घिरा है रजरप्पा – मुख्य मंदिर के आसपास छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा रजरप्पा की घटिया अत्यंत मनोरम है । नए वर्ष की शुरुआत में यह पिकनिक स्पॉट बन जाता है। यहां आने वाले पर्यटक प्रकृति की खूबसूरती देखकर दंग रह जाते हैं। पहाड़ पर बसा रजरप्पा और इसके चारों ओर हरियाली मन को मोह लेती है। शहरों की भीड़भाड़ से दूर शांत और स्वच्छ वातावरण यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं।

3. ठहरने की व्यवस्था |
यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए यहां पर अनेक होटल और यात्री निवास भी है। यहां आने वाले पर्यटक अपने सुविधा अनुसार एक, दो या उससे ज्यादा भी प्रकृति के बीच रहकर जीवन का आनंद ले सकते हैं।

4. भोजन की व्यवस्था |
यहां आने वाले पर्यटको के भोजन के लिए कई भोजनालय स्थित है। जहां आराम से भोजन उपलब्ध हो जाता है। अगर आप पिकनिक मनाने की इच्छा से अपने घर से सामान लेकर आए हैं, तो पहाड़ों और नदियों के बीच बैठकर स्वयं खाना बनाना और परिवार के साथ खाना बड़ा आनंदमय होता है।

5. यातायात और पार्किंग की सुविधा। अगर अपनी गाड़ी की सुविधा न हो तो रामगढ़ कैंट से रजरप्पा के लिए अनेक छोटी बड़ी सवारी गाड़ियां मिल जाती है जो सुबह 4:00 से शाम के 6:00 तक मिलती है यह आपको मंदिर परिसर तक पहुंचा देगी। रजरप्पा यदि आप निजी वाहन से जाते हैं तो वहां के होटलों में पार्किंग सुविधा उपलब्ध होती है ।

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